काप-26 सम्मेलन के आखिरी दिन जलवायु वार्ता का दूसरा मसौदा जारी, जीवाश्म ईंधन सबसिडी पर यूटर्न
कोयला और जीवाश्म ईंधन कार्बन उत्सर्जन के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार हैं।
काप-26 सम्मेलन के आखिरी दिन जलवायु वार्ता का दूसरा मसौदा जारी किया गया। हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से इसमें कोयले के इस्तेमाल को खत्म करने और जीवाश्म ईंधन पर लागू सबसिडी को वापस लेने के प्रस्ताव को हटा दिया गया। सभी देशों से जीवाश्म ईंधन छोड़ हरित ऊर्जा अपनाने की दिशा में तेजी से कार्य करने का आह्वान किया गया।
नए मसौदे में कोयला और जीवाश्म ईंधन से जुड़े प्रस्ताव को बदला गया है। पहले मसौदे में कोयले के इस्तेमाल को बंद करने और जीवाश्म ईंधन से सबसिडी खत्म करने की बात कही गई थी। लेकिन, अब संशोधित मसौदे में कहा गया है कि सभी देश जीवाश्म ईंधन और कोयले से हरित ऊर्जा रूपांतरण की प्रक्रिया में तेजी लाएं। दरअसल, दुनिया के तमाम बड़े कोयला उपयोगकर्ता, मसलन चीन, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), भारत आदि कोयले को पूरी तरह से हटाने के पक्ष में नहीं थे। हालांकि, वे इसके इस्तेमाल को न्यूनतम करने की दिशा में कार्य जारी रखे हुए हैं।
नए मसौदे में सभी देशों से कहा गया है कि वे उच्च प्राथमिकता के साथ जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर पहले से ज्यादा कार्य करें। सभी देश ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में पूर्व की तुलना में ज्यादा कटौती के लक्ष्य प्रकट करें। इसमें पूर्व में जारी पहले मसौदे के मुकाबले ज्यादा बदलाव नहीं किए गए हैं। सिर्फ ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती पर ज्यादा जोर दिया गया है।
मसौदे में सभी देशों से कहा गया है कि वे वैश्विक तापमान वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लक्ष्यों के अनुरूप अपने संशोधित कटौती प्रस्ताव, नेट जीरो लक्ष्यों का ब्योरा और इसमें हुई प्रगति की जानकारी 2022 तक पेश करें। काप-2022 में इनकी समीक्षा की जाएगी। वहीं, धनी देशों से कहा गया है कि वे 2025 तक प्रतिवर्ष 100 अरब डॉलर (करीब 7500 अरब रुपये) राशि की उपलब्धता गरीब एवं विकासशील देशों के लिए सुनिश्चित करें। काप-26 के विशेष सत्र में नए प्रस्ताव पर शुक्रवार को चर्चा शुरू हुई। इसके पूरा होने के बाद मसौदे को मंजूरी दी जा सकती है। यदि सहमति नहीं बनती है तो तीसरा मसौदा भी जारी हो सकता है। बहरहाल, स्थानीय समय के अनुसार शुक्रवार देर रात या शनिवार को मसौदे को अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है।
जलवायु क्षति का मुद्दा शामिल
-नए मसौदे में स्पष्ट किया गया है कि सभी देशों को पहले से ज्यादा बड़े लक्ष्य तय करने होंगे। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए उन्हें ज्यादा तेजी से कार्य भी करना पड़ेगा। मसौदे में जलवायु क्षति के मुद्दों को शामिल करते हुए इसे संचालनात्मक बनाने पर जोर दिया गया है। वहीं, विकसित देशों के जलवायु कोष में पूर्ण योगदान न देने पर खेद जताया गया है।
तापमान वृद्धि में कमी लाने पर जोर
-बता दें कि आईपीसीसी की छठीं आकलन रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि वैश्विक तापमान वृद्धि को डेढ़ डिग्री तक सीमित रखना है तो 2050 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य करना होगा। वहीं, 2030 तक इसमें 45 फीसदी की कमी लानी पड़ेगी। यदि ऐसा नहीं किया गया तो तापमान वृद्धि मौजूदा 2.4 डिग्री या इससे तेज रफ्तार से जारी रहेगी।
गरीब, उभरते देशों के हितों के खिलाफ था प्रस्ताव : विशेषज्ञ
-विशेषज्ञों का मानना है कि कोयले के इस्तेमाल और जीवाश्म ईंधन पर सबसिडी को पूरी तरह से खत्म करने का प्रस्ताव व्यावहारिक नहीं था। यह गरीब और विकासशील देशों के हितों के खिलाफ था। इसलिए नया मसौदा ज्यादा व्यावहारिक है। लेकिन यह भी सच्चाई है कि कोयला और जीवाश्म ईंधन कार्बन उत्सर्जन के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार हैं।