सर्च इंजन गूगल: ऑस्ट्रेलिया की खास न्यूज वेबसाइट्स की अहम खबरों को किया ब्लॉक

सर्च इंजन गूगल ने ऑस्ट्रेलिया में बड़ी समाचार वेबसाइटों की प्रमुख खबरों को छिपाने के सिलसिले में अपना ‘प्रयोग’ शुरू कर दिया है।

Update: 2021-01-28 09:40 GMT

सर्च इंजन गूगल ने ऑस्ट्रेलिया में बड़ी समाचार वेबसाइटों की प्रमुख खबरों को छिपाने के सिलसिले में अपना 'प्रयोग' शुरू कर दिया है। अखबार 'द गार्जियन' के ऑस्ट्रेलिया संस्करण की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रयोग के कारण ऑस्ट्रेलिया में हजारों लोग प्रमुख खबरों की जानकारी पाने से वंचित हो गए हैं। दूसरी तरफ गूगल पर सर्च करने पर अब तक कम प्रमुख रही वेबसाइटों की खबरें वहां देखने को मिल रही हैं। द गार्जियन का कहना है कि जिन वेबसाइटों की खबरें इस सर्च इंजन पर आ रही हैं, उनमें कई की साख संदिग्ध रही है। उन्हें गलत सूचना और षड्यंत्र के सिद्धांत फैलाने वाली वेबसाइट माना जाता रहा है।

औपचारिक रूप से गूगल ने पहले कहा था कि वह कुछ प्रयोग कर रहा है। इसका मकसद खबरों के कारोबार और गूगल सर्च के एक दूसरे पर होने वाले असर की पड़ताल करना है। लेकिन गूगल ने कहा था कि उसके प्रयोग का असर सिर्फ एक फीसदी सर्च पर पड़ेगा। जबकि 'द गार्जियन' की खबर के मुताबिक ऐसा व्यापक रूप से हुआ है। बहुत से यूजर्स को खबर सर्च करने पर कोई रिजल्ट नहीं मिल रहा है। कई यूजर्स के पास ऐसी सूचना आ रही है कि संबंधित सर्च प्रतिबंधित है। लेकिन गूगल न्यूज की वेबसाइट पर अभी भी लोग सभी वेबसाइटों की खबरें देख पा रहे हैं। यानी गूगल ने न्यूज वेबसाइटों की सीधी पहुंच को सीमित किया है।

यह भी देखा गया है कि वे खबरें सर्च में आसानी से आ रही हैं, जिन्हें सरकारी सूचना कहा जाता है। यानी जिन खबरों से संबंधित सूचना सरकारी वेबसाइटों पर मौजूद है, गूगल ने उन्हें सर्च से नहीं रोका है। गूगल ने एक ताजा बयान में पुष्टि की है कि कुछ यूजर कुछ खबरों को अभी नहीं तलाश पाएंगे। लेकिन इस कंपनी ने कहा है कि उसका मकसद ऑस्ट्रेलिया के लोगों को खबरों से वंचित रखना नहीं है। कंपनी का दावा है कि ऑस्ट्रेलिया में खबरों के बहुसंख्यक पाठकों पर उसके इस प्रयोग का कोई असर नहीं पड़ा है।

गौरतलब है कि गूगल ने ये प्रयोग ऑस्ट्रेलिया सरकार की एक नियमावली का ड्राफ्ट सामने लाने के बाद शुरू किया है। इस मसविदे में प्रावधान है कि गूगल या फेसबुक जैसी कंपनियों से समाचार घराने उनकी खबरों को उन प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करने के बदले धन की मांग कर सकते हैं। इस नियम के पीछे दलील यह है कि खबरों को तैयार करने पर खर्च मीडिया हाउस करते हैं, जबकि गूगल और फेसबुक उन्हें मुफ्त में अपने प्लेटफॉर्म पर डाल कर विज्ञापन कमा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया सरकार का कहना है कि इस विज्ञापन से होने वाली आमदनी का एक हिस्सा मीडिया घरानों को मिलना चाहिए।

जब ये मसविदा आया था, तभी गूगल कंपनी ने धमकी दी थी कि वह ऑस्ट्रेलियाई वेबसाइटों की खबरों को अपने प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंधित कर सकती है। फेसबुक ने धमकी दी है कि ये नियम लागू हुआ तो वह ऑस्ट्रेलिया के लोगों को अपने देश की खबरों को शेयर करने की सुविधा से वंचित कर सकता है।
माना जा रहा है कि उसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए गूगल ने ये प्रयोग शुरू किया है। इसके जरिए वह संदेश भी देना चाहता है कि अगर सरकार ने उसे मीडिया घरानों के साथ राजस्व साझा करने पर मजबूर किया तो वह जवाबी कार्रवाई कर सकता है। साथ ही वह अपनी तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन भी कर रहा है कि वह जिन खबरों को चाहे उन्हें फैलने दे सकता है और जिन्हें रोकना चाहे रोक सकता है। ताजा प्रयोग से उसकी ये क्षमता सबके सामने आ गई है। अब यह देखने की बात होगी कि ऑस्ट्रेलिया सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।



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