वैज्ञानिकों ने महीन कणों की बारिश से हासिल की ज्वालामुखी के अंदर की जानकारी

म्यूऑन जैसे अपरमाणविक कण हमें दिखाई नहीं देते

Update: 2021-11-18 13:18 GMT
म्यूऑन (Muons) जैसे अपरमाणविक कण (subatomic Prticles) हमें दिखाई नहीं देते, लेकिन ये हमारे आसपास हमेशा मौजूद रहते हैं और इसका हम पर कोई असर भी नहीं होता है. ये महीन कण जब बनते हैं जब पृथ्वी के वायुमंडल से कॉस्मिक विकरणों का टकराव होता है. लेकिन ये जल्दी ही विखंडित भी हो जाते हैं. चार साल पहले मिस्र के पिरामिड के छिपे तहखाने की खोज भी एक्स रे की तरह भेदन कर पाने वाले म्यूऑन की मदद से ही हुई थी. अब वैज्ञानिकों ने ज्वालामुखियों (Volcanos) की आंतरिक संरचना का नक्शा बनाने के लिए भी म्यूऑन का उपयोग किया है. 
ज्वालामुखियों (Volcanos)का नक्शा बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने मापा कि कि ये महीन कण कितनी कारगरता से पृथ्वी के अंदर बहते मैग्मा (Magma) से गुजर पाते हैं. प्रोसिडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी में प्रकाश इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और चिली की आटाकामा यूनिवर्सिटी के भूभौतिकविद जोवान्नी लियोनी ने बताया कि इस जानकारी का उपयोग उन्होंने भूगर्भीय सूचनाओं के निर्माण के लिए किया. यह अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक तकनीक म्यूओग्राफी (Muography) का उपयोग किया जो लियोन के मुताबकि एक दिन मैग्मा की पहचान करने का सिस्टम बन सकती है.
लियोनी ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि इस तकनीक से ज्वालामुखी के प्रस्फोट (Volcanic Eruptions) से पहले मौग्मा की गतिविधियों (Magma Activities) का पता लगाया जा सकता है. म्यूऑन (Muons) मोटे और तेज इलेक्ट्रॉन की तरह होते हैं. उनका ऋणात्मक आवेश होता है, लेकिन ये इलेक्ट्रॉन से 207 गुना भारी होते हैं और करीब प्रकाश की गति से ही यात्रा करते हैं. उनकी गति और भारीपन के कारण वे ज्वालामुखी चट्टानों जैसे घने पदार्थ तक को पार कर जाते हैं. जितना ज्यादा घना पदार्थ होगा, म्यूऑन उतनी तेजी से अपनी गति गंवाएंगे और विखंडित हो जाएंगे. बहुत से म्यूऑन ज्वालामुखी के अंदर टकराते हुए अंदर तक चले जाते हैं, लेकिन अगर ज्वालामुखी घना हुआ, जैसे अगर उसका रास्ता मैग्मा से बना हुआ रहा , तो म्यूऑन ज्वालामुखी की दूसरी तरफ नहीं जा पाएगा.
यह जानने के लिए कि यात्रा में कौन से म्यूऑन (Muons) बच गए हैं वैज्ञानिकों ने ज्वालामुखी (Volcano) के किनारे पर म्यॉन डिटेक्टर्स (Muon Detectors) लगाए. ये डिटेक्टरस ज्वालामुखी के पेट के अंदर के उन म्यूऑन की तस्वीर लेते हैं जो ज्वालामुखी से गुजरते हुए विखंडित नहीं हुए हैं और यह भी पता लगाते हैं कि कहां म्यूऑन कायम नहीं रह सके. कुछ शोधकर्ता इस मैपिंग को म्यूऑन डिटेक्टर्स को हैलीकॉप्टर पर रख कर ज्वालामुखी के किनारे से उड़ते हुए हवा से ही करते हैं.
यह एक्स रे की तरह है जब विकरण (Radiation) हमारे शरीर के हिस्से से गुजरता है और अगर वह विकिरण बिना किसी रोकटोक के आरपार चला जाता है, वहां तस्वीर काली नजर आती है. लेकिन हमारे शरीर की हड्डियां कुछ एक्स रे अवशोषित कर लेती हैं, कम विकिरण कैमरे तक पहुंच पाते हैं जिससे हमारी हड्डियां तस्वीर में हलके रंग में दिखती हैं. ज्वालामुखी म्युओग्राफी (Muography) में वैज्ञानिक ऐसा ही विरोधाभास देखते हैं. साफ तरह से निकलने वाले म्यूऑन (Muon) गहरी या काली तस्वीर बनाती हैं, लेकिन जब म्यूऑन घने हिस्से से टकराती हैं, तो वे तस्वीर में हलके रंग में नजर आती हैं.
ज्वालामुखी (Volcano) के पास जितने ज्यादा म्यूऑन डिटेक्टर (Muon Detectors) होंगे तस्वीर उतनी ही बड़ी होती हैं. ग्लासगो यूनिवर्सिटी की म्यूओग्राफी (Muography) शोधकर्ता डेविड मोहन जो इस अध्ययन में शामिल नहीं थे, बताते हैं कि एक डिटेक्टर द्वीआयामी तस्वीर देता है. उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि बहुत सारे डिटेक्टर्स को वस्तु के आसपास लगाकर एक हलकी त्रिआयामी तस्वीर बनाई जा सकती है. म्यूऑन ज्वालामुखी प्रस्फोट का अनुमान लगाने में मदद कर सकते हैं. शोधकर्ताओं ने जापान के साकुराजिमा और माउंट असामा के साथ इटली के तीन और कैरेबियन ज्वालामुखी गुआडेलुयूप ज्वालामुखियों की झलक देखी.
अध्ययन में कहा गया है कि म्युओग्राफी (Muography) का उपयोग ज्वालामुखी (Volcano)के अंदर मैग्मा भंडार की पहचान करने के लिए भी किया जा सकता है जिनमें विस्फोट होने वाला है और वास्तविक समय में मैग्मा की गतिविधि का लेखाजोखा भी रखा जा सकता है. प्रायः प्रस्फोट से पहले मैग्मा शीर्ष के क्षेत्र की ओर आता है जिससे होने वाले विस्फोट का पता चल सकता है. इससे प्रस्फोट से पहले आसपास के लोगों को समय पर सुरक्षित स्थान पर भेजने में मदद मिल सकेगी.
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