नाटो की कार्रवाई पर रूस ने उठाया यह कदम, जाने क्या है पूरा मामला
रूस ने नाटो में अपना दूतावास बंद कर दिया है. मॉस्को में नाटो के दफ्तर को बंद करने के भी आदेश दे दिए गए हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रूस ने नाटो में अपना दूतावास बंद कर दिया है. मॉस्को में नाटो के दफ्तर को बंद करने के भी आदेश दे दिए गए हैं. हाल ही में नाटो की कार्रवाई के बदले रूस ने यह कदम उठाया है.नाटो द्वारा अपने कूटनीतिज्ञों के खिलाफ कार्रवाई का बदला लेते हुए रूस ने नाटो को मॉस्को में अपना दफ्तर बंद करने का आदेश दिया है. उसने नाटो स्थित अपना मिशन भी बंद कर दिया है. इसी महीने नाटो ने ब्रसेल्स के अपने मुख्यालय में काम कर रहे रूस के आठ आधिकारियों की मान्यता रद्द कर दी थी. पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन नाटो ने आरोप लगाया था कि ये अधिकारी रूसी जासूस थे. इसके साथ ही नाटो ने अपने मुख्यालय में मॉस्को के अधिकारियों की संख्या 20 से घटाकर आधी कर दी थी.
तस्वीरों मेंः अमेरिका का सबसे लंबा युद्ध मॉस्को ने नाटो के इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने जवाबी कार्रवाई करते हुए नाटो के रूस, दफ्तर, अमेरिका, नाटो, Russia, Office, America, NATO को बंद करने का आदेश दिया. सोमवार को उन्होंने ऐलान किया कि रूस नाटो में अपना मिशन भी बंद कर रहा है. सारे संपर्क खत्म लावरोव ने कहा कि नाटो ने साबित कर दिया है कि वे "किसी तरह के सहयोग या बातचीत में रुचि नहीं रखते और हमें नहीं लगता कि यह दिखावा करने की भी कोई जरूरत है कि निकट भविष्य में कुछ बदलने वाला है. रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि नाटो के साथ संपर्क बेल्जियम में रूसी दूतावास के जरिए रखा जा सकता है. लावरोव ने कहा, "नाटो के इस जानबूझकर उठाए गए कदम के नतीजतन किसी तरह के कूटनीतिक काम के हालात नहीं बचे हैं. और नाटो की कार्रवाई के प्रतिक्रियास्वरूप हम नाटो मे अपन स्थायी मिशन बंद कर रहे हैं. साथ ही मुख्य सैन्य दूत का काम भी बंद किया जाएगा, जो संभवतया 1 नवंबर से बंद हो सकता है या उसमें कुछ दिन लग सकते हैं.
" रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, "नाटो की कार्रवाई यह पुष्ट करती है कि वे राजनीतिक और सैन्य तनाव करने के लिए समानता के स्तर पर बातचीत या किसी साझे काम के इच्छुक नहीं हैं. संगठन का हमारे देश के प्रति रुख लगातार आक्रामक होता जा रहा है." जानें, अफगानिस्तान में अमेरिका की 7 गलतियां मंत्रालय ने कहा कि 'रूस के खतरे' को जानबूझ कर बढ़ाया-चढ़ाया जा रहा है ताकि संगठन के अंदर सदस्यों के बीच एकता मजबूत की जा सके और आधुनिक भू-राजनीतिक परिदृश्य में इसकी प्रासंगिकता दिखाई जा सके. नाटो की प्रतिक्रिया रूस की कार्रवाई को नाटो ने अफसोसनाक बताया है. नाटो प्रवक्ता ओआना लंगेस्कू ने कहा, "हमें इन कदमों पर अफसोस है. रूस पर नाटो की नीति अविरुद्ध है. रूस की आक्रामक कार्रवाइयों के जवाब में हमने अपनी सुरक्षा और प्रतिरोधी कदमों को मजबूत किया है, पर साथ ही नाटो-रूस काउंसिल के जरिए बातचीत के रास्ते भी खुले रखे हैं." जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने लग्जमबर्ग में कहा कि मॉस्को का यह कदम मुश्किलें बढ़ाएगा और पिछले कुछ समय से जारी शीतकाल को और लंबा खींचेगा, जिससे रिश्तों में तनाव बढ़ेगा.
मास ने कहा, "बीते सालों में जर्मनी नाटो के भीतर लगातार रूस से बातचीत करने के लिए जोर लगाया है. और हमें एक बार फिर मानना होगा कि रूस अब नहीं है. यह बहुत अफसोस की बात है." रूसी मिशन का दफ्तर ब्रसेल्स में नाटो के मुख्यालय वाले भवन में नहीं है बल्कि पड़ोस में है. 2014 में क्रीमिया पर रूसी कब्जे के बाद नाटो ने उसके साथ व्यवहारिक सहयोग बंद कर दिया था लेकिन उच्च स्तरी बैठकों और सैन्य स्तर पर सहयोग के रास्ते खुले रखे थे. लगातार बढ़ते तनाव के बीच रूस ने कई बार इस बात पर आपत्ति जताई है कि नाटो की सेनाएं रूसी सीमा के पास तैनात हैं और यह उसकी सुरक्षा के लिए खतरा है. रूस और नाटो एक दूसरे पर सैन्य अभ्यास के जरिए अस्थिरता बढ़ाने का आरोप भी लगाते रहे हैं.