रूस ने यूक्रेन सीमा पर खतरनाक बुख तैनात किया

रूस ने यूक्रेन सीमा के पास बुख नाम का एक खास मिसाइल सिस्टम तैनात किया है.

Update: 2021-12-15 02:08 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रूस ने यूक्रेन सीमा के पास बुख नाम का एक खास मिसाइल सिस्टम तैनात किया है. माना जाता है कि 2014 में इसी से मलेशियन एयरलाइंस का विमान गिराया गया था. इस प्लेन क्रैश के दोषी को कैसे खोजा गया. जानिए इस रिपोर्ट में.12 दिसंबर को जी7 समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक में रूस और यूक्रेन के तनाव पर मुख्य रूप से चर्चा हुई. बैठक में रूस को चेतावनी दी गई कि यूक्रेन के खिलाफ किसी भी तरह की सैन्य आक्रामकता के गंभीर नतीजे होंगे. अंतरराष्ट्रीय कानूनों में सीमा बदलने के इरादे से किसी भी तरह बल प्रयोग की सख्त मनाही है. खबरों के मुताबिक, रूस ने यूक्रेन सीमा के पास बड़ी संख्या में सैनिक और सैन्य उपकरण तैनात कर दिए हैं. कई हल्कों में इसे यूक्रेन पर हमले की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है. क्या है क्रीमिया एनेक्सेशन? 2014 में रूस ने यूक्रेन के इलाके क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था. पश्चिमी देश तब क्रीमिया पर हुए कब्जे को तो नहीं रोक पाए थे लेकिन उन्होंने इतना किया कि रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए. पश्चिमी देश नहीं चाहते कि रूस किसी भी सूरत में 2014 जैसी घटना दोहराए. इसीलिए वे रूस को लगातार चेतावनी दे रहे हैं. पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात कर यूक्रेन पर तनाव घटाने की कोशिश की. लेकिन ये तमाम कोशिशें रूस की आक्रामकता कम नहीं कर पाई हैं. क्या है बुख से जुड़ा विवाद? रूस ने यूक्रेन सीमा के पास एक खास मिसाइल सिस्टम तैनात किया है. इसका नाम है, Buk-M1 (बुख-एम1). बुख की तैनाती से जुड़ी इस आशंका का एक विवादित अतीत भी है, जो जुड़ा है सात साल पुरानी एक बड़ी घटना से. आरोप है कि 2014 में इसी बुख का इस्तेमाल करके रूस ने बीच हवा में मिसाइल दागकर मलयेशियन एयरलाइन्स की फ्लाइट 17 को गिरा दिया था. यह घटना 17 जुलाई 2014 को हुई . उस रोज मलयेशियन एयरलाइन्स की विमान संख्या 17 ने एम्सटर्डम से उड़ान भरी. विमान को जर्मनी, पोलैंड और यूक्रेन होते हुए मलयेशिया की राजधानी कुआलालंपुर जाना था. विमान की लोकेशन पूर्वी यूक्रेन के आकाश में थी, जब कॉकपिट में लगे वॉइस रिकॉर्डर ने विमान के बाहर से आई एक तेज आवाज को दर्ज किया. यह आवाज कॉकपिट के बाईं ओर ऊपर की तरफ से शुरू होकर दाहिनी ओर बढ़ती गई. यह आवाज तकनीकी भाषा में प्रेशर वेव जैसी थी. यह वैसी ही आवाज थी, जो धमाके के समय आती है. ठीक इसी वक्त विमान बीच हवा में टूट गया. उसका मलबा एक बड़े इलाके में बिखर गया. इस घटना में विमान में सवार सभी 298 लोग मारे गए. इनमें 80 बच्चे भी शामिल थे.

किसके नेतृत्व में हुई जांच? हादसे में मारे गए यात्रियों में सबसे ज्यादा 193 लोग नीदरलैंड्स के थे. इसीलिए यूक्रेन ने नीदरलैंड्स से आग्रह किया कि वह इस घटना की जांच का नेतृत्व करे. नीदरलैंड्स ने आग्रह स्वीकार करते हुए जांच का जिम्मा डच सेफ्टी बोर्ड को सौंपा. बोर्ड ने घटना के छह दिन बाद 23 जुलाई 2014 को जांच की कमान संभाली. इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) के एनेक्स 13 के तहत जांच शुरू हुई. इस जांच के दो मुख्य मकसद थे. पहला, घटना के कारण का पता लगाना ताकि मृतकों के परिजनों को विमान हादसे की सही वजह बताई जा सके. दूसरा, इस घटना के कारणों को ध्यान में रखते हुए एक सुरक्षा नीति बनाना ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके. विमान के मलबे से क्या मिला? जांच दल का कहना है कि जमीन पर मिले विमान के मलबे और कॉकपिट में मौजूद क्रू-सदस्यों की लाशों से उन्हें कुछ खास आकार की धातु की चीजें मिलीं. इनका आकार बो-टाई और क्यूब जैसा था. धातु के इन टुकड़ों को 'फ्रैगमेंट' कहा जाता है. इन फ्रैगमेंटों को समझिए एक विशेष प्रकार का शार्पनेल. इनका इस्तेमाल एक खास श्रेणी के वॉरहेड में किया जाता है. मिसाइल के आगे के हिस्से को वॉरहेड कहते हैं. मिसाइल में जो विस्फोटक या रसायन भरा रहता है, वह इसी वॉरहेड में होता है. मिसाइल जब किसी लक्ष्य पर हमला करती है, तो अपने निशाने पर यही वॉरहेड दागती है. जांच टीम के मुताबिक, उन्हें घटनास्थल पर जो वॉरहेड मिला था, उसका नाम था- 9N314M. यह वॉरहेड 9M38M1 मिसाइल में फिट होता है. और यह 9M38M1 मिसाइल जिस मिसाइल सिस्टम से दागी जाती है, उसका नाम है- बुख. सोवियत के दौर का हथियार सोवियत संघ के पास 2K12 Kub नाम का एक मिसाइल सिस्टम हुआ करता था. इसी की अगली पीढ़ी है बुख. सोवियत संघ ने 1979 में इसका इस्तेमाल शुरू किया था. तब से लेकर अब तक इसके कई नए संस्करण आ चुके हैं. इस मिसाइल सिस्टम को रूस में 9K37 के जेनरिक नाम से जाना जाता है. वहीं नाटो इसे SA-11 कहता है. यह मध्यम श्रेणी का जमीन से हवा में वार करने वाला एक ताकतवर मिसाइल सिस्टम है. यह मिसाइल सिस्टम 70 से 80 हजार फीट की ऊंचाई तक वार करने में सक्षम है. अगर यह सिस्टम विमान जैसे किसी निशाने पर एक मिसाइल दागे, तो 99 फीसदी संभावना है कि वह विमान क्रैश हो जाएगा. जानकारों के मुताबिक, यह सिस्टम डेढ़ मिनट के भीतर छह अलग-अलग लक्ष्यों पर मिसाइलें दाग सकता हैं. इसमें कैसी मिसाइलें इस्तेमाल होती हैं? जानकारों के मुताबिक, इसमें दो तरह की मिसाइलें इस्तेमाल होती हैं.
एक 9M38M1 और दूसरी 9M38. इन दोनों मिसाइलों में 70 किलो वजनी उच्च-क्षमता वाले विस्फोटक फ्रैगमेंटों से भरा वॉरहेड लगा होता है. ये वॉरहेड 9N314 और 9N314M के नाम से जाने जाते हैं. जांचकर्ताओं ने घटनास्थल से 9N314M वॉरहेड के हिस्से मिलने की बात कही थी. जांच टीम ने 9N314M वॉरहेड के डिजाइन के आधार पर ही इस हादसे के साथ रूस का नाम जोड़ा. इस वॉरहेड में दो परतें होती हैं, जिनके भीतर खास आकृति वाले फ्रैगमेंट भरे होते हैं. अंदर की परत में बो-टाई के आकार वाले फ्रैगमेंट होते हैं. बाहर की परत में चौकोर फ्रैगमेंट होते हैं. जब वॉरहेड को डेटोनेट किया जाता है, तो इसका खोल कई टुकड़ों में बंट जाता है. मलयेशियन एयरलाइन्स का विमान जिस इलाके में क्रैश हुआ, वह पूर्वी यूक्रेन में पड़ता है. यहां यूक्रेन और रूस समर्थित विरोधी गुट के बीच गृह युद्ध चल रहा था. जिस इलाके से मिसाइल दागी गई, वह रूस समर्थित विद्रोही गुट के कब्जे में था. जांच टीम का कहना था कि उन्हें पक्की जानकारी है कि घटना के समय रूस ने बुख को इस इलाके में तैनात किया हुआ था. और इस पूरे क्षेत्र में कथित तौर पर यही एक सिस्टम था, जिसकी मिसाइलों के वॉरहेड के भीतर बो-टाई आकार के फ्रैगमेंट पाए जाते हैं. कई तरह की आशंकाएं थीं जांच टीम ने बहुत विस्तृत पड़ताल की थी. विमान को हुए नुकसान, मृतकों की लाश, विमान के भीतर लगे तकनीकी सिस्टम की जांच, सारे आंकड़े बहुत सावधानी और वैज्ञानिक तरीके से खंगाले गए. क्या विमान के भीतर हुई किसी तकनीकी खामी के चलते हादसा हुआ? क्या आसमान से गिरी बिजली के चलते घटना हुई? यहां तक कि यह छानबीन भी हुई कि कहीं अंतरिक्ष से गिरा मलबा तो इस हादसे की वजह नहीं? हर तरह की आशंकाओं को तौलने के बाद दावा किया गया कि बुख मिसाइल सिस्टम से दागे गए मिसाइल ने विमान के बाएं हिस्से पर वार किया. इसी के चलते विमान बीच हवा में टूट गया और उसके टुकड़े हो गए. बुख कैसे पहुंचा पूर्वी यूक्रेन? आरोप है कि जिस बुख सिस्टम से मिसाइल दागी गई, वह पश्चिमी रूस के कुर्स्क में तैनात रूसी सेना की 53वीं ऐंटीएयरक्राफ्ट ब्रिगेड के पास था. यूक्रेन में रूस के समर्थन वाला विरोधी गुट पिछड़ रहा था. यूक्रेन के लड़ाकू विमानों के चलते विद्रोही अलगाववादी गुट को भारी नुकसान हो रहा था. उनके हाथ से इलाके निकल रहे थे. बड़ी संख्या में उनके लड़ाके मारे जा रहे थे. आरोप है कि विद्रोही गुट को बढ़त दिलाने के लिए रूस ने पूर्वी यूक्रेन में सैन्य सहायता पहुंचाई. और इसी सैन्य खेप का हिस्सा था बुख. जांचकर्ताओं के मुताबिक 17 जुलाई, 2014 को तड़के सुबह यह सिस्टम गुपचुप रूस से सीमा पार करवाकर पूर्वी यूक्रेन में दाखिल कराया गया. यहां से उसे एक ट्रेलर पर लादकर विरोधी गुट के कब्जे वाले दोनेत्स्क शहर और फिर स्निजनये शहर ले जाया गया. चश्मदीदों ने क्या बताया? रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुख सिस्टम की इस यात्रा के दौरान कई स्थानीय लोगों, पत्रकारों और ड्राइवरों ने इसे देखा था. चश्मदीदों ने देखा कि रूस की एक सैन्य टुकड़ी और विद्रोही गुट के कई लड़ाके भी इस कारवां में साथ थे. मगर रूस इन आरोपों से इनकार करता रहा.
उसका दावा था कि मिसाइल यूक्रेन के अधिकार क्षेत्र वाले हिस्से से दागी गई. अपने आरोप को साबित करने के लिए रूस ने उपग्रह से ली गईं कुछ तस्वीरें भी साझा की. मगर डच जांचकर्ताओं ने कहा कि वे तस्वीरें फर्जी थीं और फोटोशॉप की मदद से छेड़छाड़ करके नकली सबूत तैयार किए गए थे. 298 लोगों की हत्या का मुकदमा नीदरलैंड ने जांच पूरी हो जाने के बाद मार्च 2020 में MH17 क्रैश में मारे गए सभी 298 मृतकों की हत्या का केस शुरू किया. इस केस में चार लोगों पर उनकी गैरहाजिरी में मुकदमा चला. इनमें तीन रूस और एक यूक्रेन का नागरिक बताए जाते हैं. आरोपियों में से एक है, इगोर गिरकिन. इल्जाम है कि इगोर रूसी खुफिया एजेंसी 'फेडरल सिक्यॉरिटी सर्विस' (FSB) में अफसर रह चुके हैं. उन पर अप्रैल 2014 में यूक्रेन के स्लावआंस्क शहर पर हुए कब्जे का नेतृत्व करने का भी आरोप है. दूसरे आरोपी हैं सेरगी डुबिंस्की. वह दोनेत्स्क पीपल्स रिपब्लिक की मिलिटरी इंटेलिजेंस सर्विस के मुखिया हैं. आरोपियों में तीसरा नाम सेरगी के सहयोगी ओलेग पुलातोव का है. बताया जाता है कि ये तीनों रूसी सैन्य खुफिया एजेंसी जीआरयू के साथ करीब से जुड़े हैं. आरोप है कि पूर्वी यूक्रेन में विद्रोही गुट तक हथियार पहुंचाने का काम जीआरयू की ही देख-रेख में हो रहा था. चौथे आरोपी लियोनिड जीएनआर में फील्ड कमांडर है और यूक्रेनी मूल का है. अभी क्या हो रहा है? रूस ने यूक्रेन की सीमा के पास अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ाई हुई हैं. रूस के उप विदेश मंत्री सेर्गई रिबकोफ ने मौजूदा तनाव की तुलना 1962 के क्यूबन मिसाइल संकट से की. पुतिन ने हाल ही में कहा कि पूर्वी यूक्रेन की स्थिति नरसंहार जैसी लग रही है. ऐसे बयानों के चलते कई विशेषज्ञों को आशंका है कि कहीं पुतिन यूक्रेन पर चढ़ाई करने की भूमिका तो नहीं बना रहे हैं. रूस एक और कारण गिना रहा है. यह है, नाटो विस्तार का विरोध. 2008 के नाटो सम्मेलन में ऐलान हुआ था कि यूक्रेन और जॉर्जिया नाटो में शामिल होंगे. रूस इस प्रस्ताव का विरोधी है. पश्चिमी देश कह चुके हैं कि नाटो में प्रस्तावित यह विस्तार हाल-फिलहाल में नहीं होने जा रहा. लेकिन रूस का कहना है कि नाटो यूक्रेन और जॉर्जिया से जुड़े अपने ऐलान को आधिकारिक तौर पर वापस ले. कई जानकारों की राय है कि रूस-यूक्रेन सीमा पर तनाव के जरिए एकसाथ कई हित साधने की कोशिश कर रहे हैं. वह युद्ध की धमकियों के बहाने रूस का अंतराष्ट्रीय प्रभाव बढ़ाना चाहते हैं. वह पिछले दो दशकों से नाटो के विस्तार की योजनाओं से लड़ने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि शायद वह इन योजनाओं पर पूर्णविराम लगाने के साथ-साथ पश्चिमी देशों को रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध वापस लेने के लिए भी राजी कर पाएं..
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