लिथुआनिया को लेकर रूस और नाटो आमने-सामने, जानिए क्या है पूरा मामला
यूक्रेन और रूस जंग के बीच उत्तर अटलांटिक संधि संगठन नाटो के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूक्रेन और रूस जंग के बीच उत्तर अटलांटिक संधि संगठन नाटो के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। रूस के विदेश मंत्री ने नाटो सदस्य देश लिथुआनिया से मांग की है वह कैलिनिनग्राद पर खुलेआम लगाए गए शत्रुतापूर्ण प्रतिबंधों को तत्काल हटाए। खास बात यह है कि रूस की यह चेतावनी ऐसे समय आई है, जब लिथुआनिया ने नाटो देशों से चौतरफा घिरे रूस के परमाणु सैन्य किले कैलिनिनग्राद को रेल के जरिए जाने वाले सामानों पर प्रतिबंध लगा दिया है। यूरोपीय संघ और नाटो देशों पोलैंड तथा लिथुआनिया के बीच बसा रूस का कैलिनिनग्राद शहर रेल के जरिए रूस से सामान मंगाता है। यही नहीं कैलिनिनग्राद के गैस की सप्लाइ भी लिथुआनिया के जरिए होती है। बाल्टिक देश लिथुआनिया ने पिछले सप्ताह ऐलान किया था कि वह रूस पर लगे यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों की सूची में शामिल सामानों को रेल के जरिए कैलिनिनग्राद भेजे जाने को प्रतिबंधित करने जा रहा है।
रूस का अभेद्य परमाणु किला है कैलिनिनग्राद
लिथुआनिया के इन प्रतिबंधों से कैलिनिनग्राद में रूस से होने वाला 50 फीसद आयात रुक जाएगा। कैलिनिनग्राद रूस का अभेद्य किला है, जो यूरोप के बिल्कुल बीच में होने के कारण रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। हाल ही में रूस ने कैलिनिनग्राद में ही परमाणु हमले का अभ्यास किय था। कैलिनिनग्राद करीब 223 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। रूसी सेना ने कैलिनिनग्राद में परमाणु हमला करने में सक्षम इस्कंदर मिसाइल से हमले का अभ्यास किया है। इस्कंदर मिसाइल प्रणाली को पहली बार 2016 में इस क्षेत्र में तैनात किया गया था। इस मिसाइल की रेंज में जर्मनी समेत कई यूरोपीय देश आते हैं। कैलिनिनग्राद में रूसी नौसेना के बाल्टिक सागर बेड़े का मुख्यालय है और माना जाता है कि यहां रूस ने परमाणु हथियार रखे हैं।