मचा बवाल: ऑक्सफोर्ड की COVID -19 वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने पर हुआ साइड इफेक्ट्स, 7,00,000 से अधिक लोगों पर किया गया है टीकाकरण

आबादी के बीच संक्रमित लोगों की संख्या घटाकर संक्रमण रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।'

Update: 2021-03-04 02:41 GMT

ब्रिटेन में कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के मामले बड़े पैमाने पर सामने आए हैं। ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित कोविड-19 वैक्सीन एस्ट्राजेनेका की पहली खुराक लेने के बाद दूसरी खुराक लेने पर साइड इफेक्ट्स के मामले सामने आ रहे हैं।

विशेषज्ञों का दावा है कि ऑक्सफोर्ड वैक्सीन लेने वाले दस में से तीन से अधिक को साइड-इफेक्ट्स का सामना करना पड़ रहा है। जबकि इसकी तुलना में फाइजर कंपनी की वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने पर साइड इफेक्ट्स कम मामले सामने आए हैं। फाइजर कंपनी की वैक्सीन लेने वाले दस में से दो से भी कम लोगों में साइड इफेक्ट्स के मामले सामने आए हैं। गौरतलब है कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए ब्रिटेन में फाइजर-बायोनटेक और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके दिए जा रहे हैं।
कोविड-19 के लक्षण ट्रैकिंग अध्ययन के डाटा में पाया गया है कि ब्रिटेन के 30 प्रतिशत लोगों ने अपने ही देश में विकसित वैक्सीन लिया है। जिसके बाद उनमें सिरदर्द, थकान या बुखार सहित हल्के लक्षण सामने आए थे। इसकी तुलना लगभग 15 प्रतिशत उन लोगों द्वारा की गई, जिन्होंने फाइजर वैक्सीन लेने के बाद के दिनों और हफ्तों में साइड इफेक्ट्स की सूचना दी।
अध्ययन करने वाले लंदन के किंग्स कॉलेज के शोधकर्ताओं ने कहा कि हल्के साइड इफेक्ट्स आने से लोगों के बीच टीकाकरण को नहीं रोकना चाहिए, क्योंकि यह वैक्सीन कोविड-19 बीमारी को रोकने और जीवन को बचाने में बेहद प्रभावी है। वैज्ञानिकों ने कहा कि टीका से प्रेरित लक्षणों को आश्वस्त करने के रूप में देखा जाना चाहिए क्योंकि वे संकेत दे रहे हैं कि टीके काम कर रहे हैं।
यह शोध केसीएल और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी कंपनी जेओई (ZOE) द्वारा विकसित कोविड-19 लक्षण ट्रैकिंग एप का इस्तेमाल कर रहे 7,00,000 से अधिक लोगों पर किया गया है, जिन्होंने टीकाकरण करवाया था।
अब तक ब्रिटेन में 2.1 करोड़ लोगों को फाइजर या ऑक्सफोर्ड के टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है और लगभग 8,50,000 लोग वैक्सीन की दूसरी खुराक प्राप्त कर चुके हैं।
शुरुआती नतीजों में कितना प्रभावी पाई गई थी ऑक्सफोर्ड वैक्सीन?
चिम्पैंजी में सर्दी-जुकाम करने वाले एडिनोवायरस में जेनेटिक बदलाव करने और उसके ऊपर कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन लगाकर बनाई गई ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए इंसानी ट्रायल के शुरुआती नतीजों में औसतन 70.4 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था।
बता दें कि फरवरी महीने की शुरुआत (3 फरवरी) में एक अध्ययन में दावा किया गया था कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके (Oxford-AstraZeneca vaccine) की पहली खुराक कोविड-19 के संक्रमण को 67 प्रतिशत तक कम करने में मदद कर सकती है और घातक वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने में यह बहुत प्रभावी है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में यह कहा गया था।
तब ब्रिटेन की सरकार ने इसे दुनिया के लिए अच्छी खबर बताया था क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ मुकाबले में टीके की भूमिका महत्वपूर्ण है। शोध रिपोर्ट में कहा गया था कि, 'आंकड़ों से पता चला है कि यह (टीका) आबादी के बीच संक्रमित लोगों की संख्या घटाकर संक्रमण रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।'


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