कोरोना जांच में श्वेत और अश्वेत लोगों के बीच भेदभाव करने वाले मेडिकल उपकरणों के मुद्दे पर बवाल, ब्रिटेन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच कराने की मांग की
कोरोना जांच में श्वेत और अश्वेत लोगों के बीच भेदभाव करने वाले मेडिकल उपकरणों के मुद्दे पर बवाल मच गया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना जांच में श्वेत और अश्वेत लोगों के बीच भेदभाव करने वाले मेडिकल उपकरणों के मुद्दे पर बवाल मच गया है। ब्रिटेन ने इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच कराने की मांग की है, साथ ही अपने यहां इसके लिए एक आयोग का गठन भी कर दिया है। रक्त में आक्सीजन के स्तर की जांच करने वाले उपकरण आक्सीमीटर से श्वेत और अश्वेत लोगों की जांच में अंतर पाया गया है। गोरी चमड़ी वालों की जांच रिपोर्ट सटकी पाई गई है, जबकि काली चमड़ी वाले लोगों की जांच त्रुटिपूर्ण मिली है।
ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने कहा कि उन्होंने इस असमानता की जानकारी होने पर उसकी जांच के लिए एक आयोग का गठन किया है। उन्होंने कहा कि यह दुनिया भर में व्यवस्थित तरीके से हुआ है। यह कुछ मेडिकल उपकरणों में नस्लीय पूर्वाग्रह का मामला है। हालांकि यह अनजाने में है, लेकिन मौजूद है और आक्सीमीटर इसका सबसे अच्छा उदाहरण है।
बीबीसी के साथ बातचीत में यह पूछे जाने पर कि क्या इस असमानता के चलते काले लोगों की कोरोना से ज्यादा मौत हुई होगी, जाविद ने कहा कि ऐसा हुआ होगा, हालांकि उनके पास इसके संबंध में पुख्ता तथ्य नहीं हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से बयान में कहा गया है कि आयोग यह जांच करेगा कि क्या मौजूदा चिकित्सा उपकरणों में यह गड़बड़ी बनी हुई है और इसे निपटने और चिकित्सा उपकरणों को तैयार करने पर अपनी सिफारिश देगा। उन्होंने अगले साल जनवरी तक आयोग की जांच रिपोर्ट आने की उम्मीद जताई।
जाविद ने कहा कि उन्हें इस समस्या का बारे में उस समय जानकारी हुई जब वह यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि ब्रिटेन में मरने और अस्पताल में गंभीर स्थिति में भर्ती होने वालों में अश्वेत और अन्य अल्पसंख्यक नस्लीय पृष्ठभूमि वाले लोगों की संख्या ज्यादा क्यों है। उन्होंने कहा कि वह इस समस्या से निपटने के लिए दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करने की योजना बना रहे हैं और उनकी अपने अमेरिकी समकक्ष से इस मसले पर बातचीत भी हो चुकी है और उन्होंने इसमें दिलचस्पी भी दिखाई है।