रोवर ने NASA को भेजीं मंगल ग्रह से नई तस्वीर, मिली विशालकाय झील, देखते ही उछल पड़े वैज्ञानिक

वैज्ञानिक लगातार मंगल ग्रह पर जीवन तलाश रहे हैं. इसमें महत्वपूर्ण खोज पानी की है.

Update: 2021-10-08 05:58 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैज्ञानिक लगातार मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन तलाश रहे हैं. इसमें महत्वपूर्ण खोज पानी की है. अब नासा के वैज्ञानिकों (NASA Scientist) को इससे जुड़े अहम सबूत हाथ लगे हैं. नासा (NASA) के रोवर ने जो नई तस्वीरें भेजी हैं, उससे पता चलता है कि अरबों साल पहले पानी (Water in Mars) की वजह से इस लाल ग्रह को आकार देने में मदद मिली थी. नासा ने इन नए सबूतों को अपनी उपलब्धि करार दिया है. नासा के रोवर ने 18 फरवरी 2021 में जेरेरो क्रेटर (Jezero Crater) पर लैंड किया था.

तस्वीरों में दिखी झील के निशान
नासा ने बताया कि रोवर ने ऐसी तस्वीरें भेजी हैं, जिससे पता चलता है कि 3.7 अरब साल पहले मंगल के निर्माण में पानी की बड़ी भूमिका रही होगी. तस्वीरों में एक सूखे पानी की झील के निशान दिखाई देते हैं. रोवर ने सूखी झील की तस्वीरों को पृथ्वी पर भेजा है. यह तस्वीरें मंगल के उस क्षेत्र की हैं, जहां पर पानी की संभावना सबसे ज्यादा है.
मंगल पर बाढ़ आने का दावा
वैज्ञानिक मानकर चल रहे हैं कि ग्रह पर एक झील हुआ करती थी, जिसमंे अक्सर बाढ़ भी आती थी. इसकी वजह से झील के आसपास शिलाखंड जैसी बड़ी-बड़ी विशालकाय चट्‌टानें झील में समा गई. यह शिलाखंड आज भी झील में मौजूद हैं. वैज्ञानिक ने बताया कि झील के अंदर जो शिलाखंड आ गए थे, उनके नीचे नए परतों को निर्माण हुआ है, जिससे कई जानकारियां हासिल होती हैं.
पृथ्वी में मंगल ग्रह की चट्‌टानों में समानता
फ्लोरिडा स्थित नासा के खगोलविज्ञानी एमी विलियम्स और उनकी टीम ने क्रेटर फ्लोर से देखी चट्‌टानों की विशेषताओं और पृथ्वी के नी डेल्टा में पैटर्न के बीच समानताएं पाई हैं. रिसर्च में कहा गया है कि नीचे की तीन परतों के आकार ने पानी की उपस्थिति और स्थिर प्रवाह को दिखाया है, जो दर्शाता है कि मंगल लगभग 3.7 अरब साल पहले पानी से घिरा हुआ था. यहां पर्याप्त गर्मी और नमी भी मौजूद थी. वैज्ञानिकों ने कहा कि रोवर ने जो लेटेस्ट तस्वीरें भेजी हैं उससे पता चलता है कि झील में एक मीटर से ज्यादा व्यास वाले बोल्डर बिखरे पड़े हैं, जो उस प्रचंड बाढ़ में वहां बहकर आए होंगे.
तस्वीरों में खोज की दिशा मोड़ दी
नासा ने इस आधार पर ये पता लगाने में मदद मिलेगी कि रोवर को मिट्टी और चट्टानों के नये नमूने लाने के लिए कहां भेजा जाए. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर उस जगह से मिट्टी और चट्टानों के नमूने पृथ्वी पर लाने में कामयाबी मिलती है, तो उसके टेस्ट में इंसानों के जीवन होने के सबूत मिल सकते हैं. नासा के वैज्ञानिक विलियम्स ने कहा है कि झील के अंदर से आई इन तस्वीरों से हम ये अंदाजा लगा सकते हैं कि डेल्टा बनाने वाला पानी होना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये तस्वीरें पूरी की पूरी किताब पढ़ने जैसा है, ना कि सिर्फ किसी किताब का कवर देखने जैसा. आपको बता दें कि मंगल पर जीवन का पता लगाने के लिए नासा कई मिशनों पर काम कर रहा है और अभी तक अरबों रुपए खर्च किए जा सके हैं.
नासा के ये मिशन अगले कई सालों तक चलने वाला है. अगले कुछ सालों में नासा का मल्टी टास्किंग रोवर सीलबंद ट्यूबों में 30 पत्थर और मिट्टी के नमूनों को एकत्र करेगा, जिसे 2030 तक प्रयोगशाला में रिसर्च के लिए मंगल ग्रह से धरती पर भेज दिया जाएगा. पिछले महीने मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों ने बताया था कि उन्हें जेजेरो में दो पत्थरों के नमूनें इकट्ठा करने में कामयाबी मिली है, जिसके बारे में संभावना है कि वो लंबे वक्त तक पानी के संपर्क में रहे होंगे.


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