बांग्लादेश से भी निकाले जाएंगे रोहिंग्या मुस्लिम, ये बन गए भारी बोझ : शेख हसीना

म्यांमार में हिंसा के बाद भारी संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों ने बांग्लादेश में शरण ली थी, लेकिन अब ये इस देश के लिए भी बोझ बन गए हैं.

Update: 2021-10-18 02:43 GMT

फाइल फोटो 

 जनता से रिश्ता वेबडेस्क। म्यांमार में हिंसा के बाद भारी संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों (Rohingyas) ने बांग्लादेश में शरण ली थी, लेकिन अब ये इस देश के लिए भी बोझ बन गए हैं. खुद प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina)ने ये बयान दिया है. पीएम हसीना ने रविवार को कहा कि ये लोग उनके देश पर भारी बोझ बन गए हैं. हसीना ने इन पर संसाधनों की बर्बादी का भी आरोप लगाया.

ढाका ट्रिब्यून की एक खबर के मुताबिक, शेख हसीना ने राजधानी में नीदरलैंड्स के नवनियुक्त राजदूत एनी गेरार्ड वेन लीयूवेन (Ambassador of the Netherlands Anne Gerard Van Leeuwen) से मुलाकात के दौरान कहा, 'रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश पर भारी बोझ बन गए हैं. कोक्स बाजार (Cox's Bazar) में पर्यावरण और जंगल के संसाधन बर्बाद किए जा रहे हैं.' कोक्स बाजार में बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान अस्थायी कैंपों में रह रहे हैं.
म्यांमार की सेना की बर्बरता का शिकार होकर 2017 में समुदाय के लाखों लोग जान बचाकर बांग्लादेश पहुंचे थे. अधिकांश रोहिंग्या मुसलमानों ने कॉक्स बाजार कैंप में शरण ली है और इसे दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर कहा जाता है. बांग्लादेश को उम्मीद थी कि म्यांमार में हालात सुधरने के बाद ये वापस लौट जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब रोहिंग्या मुसलमानों को कॉक्स बाजार से भाषणचार द्वीप पर शिफ्ट किया जा रहा है. कॉक्स बाजार से यहां करीब 1 लाख लोगों को लाए जाने की योजना है.
2016-17 संकट से पहले म्यांमार में करीब 8 लाख रोहिंग्या लोग रहते थे. यह लोग इस देश की सरज़मीन पर सदियों से रहते आए हैं, लेकिन बर्मा (म्यांमार का पुराना नाम) के बौद्ध लोग और वहां की सरकार इन लोगों को अपना नागरिक नहीं मानते. यहां रोहिंग्याओं को अत्याचार और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. बड़ी संख्या में रोहिंग्या लोग बांग्लादेश और थाईलैंड की सरहदों पर स्थित शरणार्थी कैंपों में अमानवीय हालातों में रहने को मजबूर हैं.


Tags:    

Similar News

-->