पाकिस्तान में तब्लीगी जमात के समर्थन में प्रस्ताव पास, क्या सऊदी अरब के खिलाफ जा रहे इमरान खान?

बांग्लादेश से होने वाली गुटबाजी का शिकार हो गया है।

Update: 2021-12-24 04:38 GMT

सऊदी अरब के तब्लीगी जमात पर प्रतिबंध लगाने की पाकिस्तान में जमकर आलोचना की जा रही है। पाकिस्तान के सबसे प्रभावशाली सूबे पंजाब प्रांत की विधानसभा में तो विधायकों ने तब्लीगी जमात के समर्थन में बाकायदा प्रस्ताव तक पारित किया है। पक्ष और विपक्ष के सभी विधायकों ने एक सुर में दावा किया कि तब्लीगी जमात का आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं, सऊदी अरब के धार्मिक मंत्रालय ने प्रतिबंध का ऐलान करते हुए कहा था कि यह संगठन आतंकवाद का एंट्री पॉइंट है।

जमात के समर्थन में विधानसभा की स्पेशल मीटिंग
पंजाब विधानसभा के स्पीकर चौधरी परवेज इलाही ने मंगलवार को सदन की विशेष बैठक बुलाई। इस दौरान विधायक खदीजा उमर ने तब्लीगी जमात के समर्थन में प्रस्ताव पेश किया। स्पीकर ने प्रस्ताव पढ़ा और कहा कि सदन विश्वास को बढ़ावा देने वाले लोगों से सहमत है। न्होंने दावा किया कि तब्लीगी जमात का आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं है और उनका इतिहास साबित करता है कि वे कभी भी इस तरह के काम में शामिल नहीं रहे हैं। बाद में प्रस्ताव को सदन ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
सऊदी अरब ने प्रतिबंध लगाते वक्त क्या कहा था?
सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात पर प्रतिबंध लगाते वक्त कहा था कि यह आतंकवाद का एंट्री पॉइंट है और इससे समाज को खतरा है। सऊदी इस्लामी मामलों के मंत्रालय ने मस्जिदों को शुक्रवार की जुमे के नमाज के बाद तकरीर में लोगों को उनके साथ न जुड़ने की चेतावनी देने का निर्देश दिया। एक के बाद एक किए गए ट्वीट में मंत्रालय ने कहा कि इस्लामिक मामलों के महामहिम मंत्री डॉ अब्दुल्लातिफ अल अलशेख ने कहा कि सभी मस्जिदें इसे अपनी तकरीर में शामिल करें और लोगों को इससे जुड़े खतरों के बारे में बताएं।
तब्लीगी जमात क्या है?
तब्लीगी जमात की शुरुआत लगभग 100 साल पहले देवबंदी इस्लामी विद्वान मौलाना मोहम्मद इलयास कांधलवी ने एक धार्मिक सुधार आंदोलन के रूप में की थी। तब्लीगी जमात का काम विशेषकर इस्लाम के मानने वालों को धार्मिक उपदेश देना होता है। पूरी तरह से गैर-राजनीतिक इस जमात का मकसद पैगंबर मोहम्मद के बताए गए इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान (सिद्धातों) कलमा, नमाज, इल्म-ओ-जिक्र (ज्ञान), इकराम-ए-मुस्लिम (मुसलमानों का सम्मान), इखलास-एन-नीयत (नीयत का सही होना) और तफरीग-ए-वक्त (दावत और तब्लीग के लिए समय निकालना) का प्रचार करना होता है। दुनियाभर में एक प्रभावशाली आध्यात्मिक आंदोलन के रूप में मशहूर जमात का काम अब पाकिस्तान और बांग्लादेश से होने वाली गुटबाजी का शिकार हो गया है।


Tags:    

Similar News

-->