शोध: शिशु उम्र का पहला वायरस जीवन में संक्रमण का जिम्मेदार है, जोखिम भरा होता है बच्चा पैदा होने के शुरुआती दिनों में स्पर्शोन्मुख वायरल
मां के गर्भ की सुरक्षा छोड़कर जब शिशु दुनिया में आता है तो उसके शरीर को नए वातावरण के साथ तालमेल बिठाने में वक्त लगता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मां के गर्भ की सुरक्षा छोड़कर जब शिशु दुनिया में आता है तो उसके शरीर को नए वातावरण के साथ तालमेल बिठाने में वक्त लगता है। इसके लिए वह पहले कुछ दिनों या सप्ताहों में संक्रमित होता है जो स्वाभाविक है। लेकिन हाल के शोध में कहा गया है कि शिशु के शुरुआती दिनों या हफ्तों में स्पर्शोन्मुख वायरल संक्रमण जीवन में श्वसन संक्रमण के बढ़ते जोखिम से जुड़ा होता है।
शोध जर्नल नेचल माइक्रोबायोलॉजी में छपे अध्ययन के मुताबिक, नवजात शिशुओं की प्रतिरक्षा प्रणाली और माइक्रोबायोम आपस में गुंथे होते हैं जो हमारे शरीर में रहने वाले रोगाणुओं का समुदाय है। ये एक तरह से बच्चे के जोखिम और बाद में संक्रमणों को प्रभावित करते हैं।
विशेषज्ञों ने कहा, वायरस के शुरुआती संक्रमणों की रोकथाम की जा सकती है। लेकिन इसके लिए खासकर डिजाइन ब्रोबायोटिक्स के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करना जरूरी होता है। ये वैश्विक स्तर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों की 15 फीसदी मौतों के लिए जिम्मेदार है। एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 114 बच्चों में यह शोध किया है।