यूक्रेन संकट के बीच आज क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक

यूक्रेन को लेकर रूस और नाटो देशों के बीच बढ़ते तनाव, अफगान संकट और हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के संगठन क्वाड के विदेश मंत्रियों की बैठक शुक्रवार को मेलबर्न में आयोजित की जाएगी।

Update: 2022-02-11 01:47 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूक्रेन को लेकर रूस और नाटो देशों के बीच बढ़ते तनाव, अफगान संकट और हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के संगठन क्वाड के विदेश मंत्रियों की बैठक शुक्रवार को मेलबर्न में आयोजित की जाएगी। वैश्विक परिदृश्य के मद्देनजर इस बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बैठक से एक दिन पहले आस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मारिस पायने ने कहा कि इस दौरान मुख्य रूप से कोविड वैक्सीन वितरण, आतंकवाद से मुकाबला, समुद्री सुरक्षा में सहयोग और जलवायु परिवर्तन पर चर्चा की जाएगी। पायने ने यह भी कहा कि यह जरूरी है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र के सभी देश बिना किसी दबाव के खुद अपने सामरिक फैसले कर सकें।

रूस और ब्रिटेन के विदेश मंत्रियों में तड़का-भड़की
यूक्रेन मसले पर गुरुवार को मास्को में रूस और ब्रिटेन के विदेश मंत्री मिले। इस दौरान बातचीत में यूक्रेन सीमा से रूसी सैन्य जमावड़े को हटाने के मसले पर दोनों देशों के शीर्ष राजनयिकों के बीच तड़का-भड़की हो गई। ब्रिटिश विदेश मंत्री लिज ट्रस ने जहां यूक्रेन पर हमला करने पर रूस को बड़े दुष्परिणाम भुगतने और भारी कीमत चुकाने जैसी चेतावनी दी, तो जवाब में उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव ने पश्चिमी देशों का लेक्चर (मनमाना प्रलाप) न सुनने और धमकी स्वीकार न करने की बात कही। लावरोव ने कहा, मसले के वैचारिक और नैतिक बिंदुओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। केवल धमकियां दी जा रही हैं।
रूस और ब्रिटेन के बीच खराब हैं संबंध
विदित हो कि रूस और ब्रिटेन के संबंध अच्छे नहीं हैं और चार साल से ज्यादा समय बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की यह मुलाकात हुई थी। मुलाकात में ट्रस ने जहां औपचारिकताओं को दरकिनार करते हुए भावहीन चेहरे के साथ अपने रूसी समकक्ष से बात की, तो लावरोव ने भी कठोर शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उन्हें जवाब दिए। वार्ता में ट्रस ने रूसी सैनिकों को यूक्रेन सीमा से हटाकर वापस बैरकों में भेजने के लिए कहा, तो लावरोव ने इसे अनुचित बताते हुए पूर्वी यूरोप में ब्रिटिश और नाटो सैनिकों के तैनात होने की बात कही। लावरोव ने कहा, रूसी सेना अगर रूस के किसी हिस्से में तैनात है, तो इसे लेकर किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है। हम इस मसले में किसी की धमकी सुनना नहीं चाहते। वास्तव में देखा जाना चाहिए कि कौन खतरे का सामना कर रहा है।
रूसी विदेश मंत्री ने कहा, पश्चिमी राजनीतिक नेता अपनी घरेलू राजनीति के चलते यूक्रेन मसले को उछाल रहे हैं और तनाव बढ़ा रहे हैं। वे इसीलिए रूस को सेना हटाने के लिए धमकी दे रहे हैं और दबाव डाल रहे हैं। ऐसा करके वे अपने देश में संदेश देना चाहते हैं कि उन्होंने रूस को पीछे हटने के लिए मजबूर किया। यह उनका गर्म हवा को बेचने जैसा प्रयास है।जनता से रिश्ता वेबडेस्क।
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