पुतिन का भारत दौरा, कूटनीति में माहिर हैं व्लादिमीर पुतिन, कुछ इस तरह साध रहे एक साथ तीन 'विरोधियों' को

कोरोना वायरस ओमिक्रॉन वेरिएंट और यूक्रेन संकट की गंभीर स्थिति के बीच रूस के राष्‍ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 6 दिसंबर को कुछ घंटों के लिए भारत दौरे पर आ रहे हैं.

Update: 2021-12-06 04:07 GMT

 फाइल फोटो 

 जनता से रिश्त वेबडेस्क। कोरोना वायरस ओमिक्रॉन वेरिएंट (Covid-19 Omicron Variant) और यूक्रेन संकट की गंभीर स्थिति के बीच रूस के राष्‍ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) 6 दिसंबर को कुछ घंटों के लिए भारत दौरे (Vladimir Putin India Visit) पर आ रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में पुतिन एक ऐसे महान खिलाड़ी हैं, जो किसी को भी मात दे सकते हैं. भारत दौरे पर पुतिन एक साथ अपने तीन 'दुश्मनों' भारत-चीन और पाकिस्तान को साधने की कोशिश करेंगे.

खास बात यह है कि राष्‍ट्रपति पुतिन (Vladimir Putin India Visit) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)के बीच कुछ देर अकेले में भी बातचीत होगी. हाल के वर्षों में खासकर चीन और भारत सीमा व‍िवाद के समय से रूस और भारत के संबंधों में एक गैप दिखा है. दोनों देशों के संबंधों में वह गरमाहट नहीं दिखी. चीन सीमा विवाद के समय भारत को रूस के सहयोग की जरूरत थी, लेकिन रूस ने मौन धारण कर लिया. इस दौरान भारत अमेरिका के काफी करीब आया. अमेरिका ने दुनिया के समक्ष भारत को अपना गहरा दोस्‍त बताया. रूस और चीन की निकटता भी भारत को खलती रही है. इतना ही नहीं चीन की निकटता के साथ रूस पाकिस्‍तान के भी करीब गया. साफ बात है कि साउथ एशिया में अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए रूस को तीनों देशों भारत, चीन और पाकिस्तान की जरूरत है.
Forbes.com के लिए 'Why Russia Won't Choose Sides Between China And India' शीर्षक से लिखे एक लेख में साउथ ईस्ट एशिया के पत्रकार डेविड हट लिखते हैं कि मौजूदा समय में रूस की रणनीति भारत के साथ चीन को साधने की है. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अमेरिका के प्रभुत्व से निपटने के लिए रूस को चीन से दोस्ती तो चाहिए, लेकिन एशिया में चीन की दादागीरी भी उसके लिए चिंता की बात है. इसलिए वह चीन को काउंटर करने के लिए भारत के साथ अपने रिश्तों को भी अहमियत देता है.
अपने हथियारों के लिए बड़ा बाजार है भारत
यही नहीं, खासकर रूस के अपने हथियारों के लिए भारत एक बड़ा बाजार है. इसी कारण रूस संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता से लेकर शंघाई सहयोग संगठन और एनएसजी तक में भारत की सदस्यता का समर्थन करता रहा है. जहां तक रूस और चीन के रिश्ते की बात है तो यह एक तरह से पुतिन सरकार की मजबूरी है. रूस को पश्चिमी प्रतिबंधों से उबरने के लिए चीन की जरूरत है, लेकिन वह (रूस) भी चीन को लेकर आश्वस्त नहीं है.
भारत के लिए कितनी उपयोगी है पुतिन की यात्रा ?
रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन की इस यात्रा से भारत व रूस के द्विपक्षीय रिश्तें काफी मजबूत होंगे. आजादी के बाद से ही भारत और रूस के रिश्‍ते काफी मजबूत रहे हैं. खासकर रूस के साथ सैन्‍य संबंध शुरू से बेहतर रहे हैं. मिलिट्री हार्डवेयर्स के अलावा भारत रूस से टैंक्स, छोटे हथियार, एयरक्राफ्ट्स, शिप्स, कैरियर एयरक्राफ्ट (INS विक्रमादित्य) और सबमरीन्स भी खरीदता है. दोनों देश मिलकर ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल बना रहे हैं.
एक आंकड़े को मुताबिक 1991 से अब तक भारत ने रूस से 70 बिलियन डॉलर के सैन्‍य उपकरण खरीदे हैं. इसकी एक वजह यह भी है कि सैन्‍य उपकरण भारत की जरूरत के हिसाब से अमेरिका से काफी सस्‍ते हैं. इन सबके अलावा चीन सीमा विवाद को देखते हुए रूस के साथ भारत की दोस्‍ती काफी खास है.
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