नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन को एक बड़ा झटका दिया है. रूस यूक्रेन को काला सागर से अनाज निर्यात की अनुमति देने वाले समझौते से बाहर हो गया है. रूस ने सोमवार को कहा है कि वो संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाले काला सागर समझौते से हट रहा है क्योंकि उसकी शर्तों को पूरा नहीं किया गया है. यह समझौता इसलिए भी बेहद अहम था क्योंकि इसके कारण वैश्विक खाद्य की कीमतों को 20 प्रतिशत तक कम रखने में मदद मिली थी. रूस और यूक्रेन बड़े स्तर पर गेहूं निर्यात करते हैं.
रूस ने इस घोषणा से कुछ घंटे पहले ही कहा था कि क्रीमिया के उसके पुल पर हमला यूक्रेन ने किया था. क्रीमिया के 19 किलोमीटर लंबे पुल पर हमला अक्टूबर 2022 में हमला हुआ था. काला सागर और अजोव सागर को जोड़ने वाला क्रीमिया का पुल रूस के लिए आर्थिक रूप से बेहद अहम है. क्रीमिया ब्रिज पर हमले से यूक्रेनी सेना ने इनकार किया था. उसका कहना था कि यह हमला रूस ने खुद ही किया होगा. हालांकि, कुछ महीनों बाद यूक्रेन ने क्रीमिया ब्रिज पर हमले की बात अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार ली थी. लेकिन अब यूक्रेन की मीडिया ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि इसके पीछे यूक्रेन की सुरक्षा सेवा थी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अब रूस का कहना है कि पुल पर हमला यूक्रेन ने किया था जिसमें दो लोग मारे गए थे. रूस ने इस घटना को आतंकवादी कृत्य करार दिया है. कहा जा रहा है कि इसे लेकर ही रूस ने यूक्रेन के साथ अपने अनाज समझौते पर रोक लगा दी है लेकिन रूसी राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन की तरफ से कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र और तुर्की की मध्यस्थता में हुए काला सागर अनाज समझौते से रूस के अलग होने का इससे कुछ लेना-देना नहीं है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, 'सच कहें तो, काला सागर समझौता आज से वैध नहीं रहा. दुर्भाग्य से, रूस इन काला सागर समझौतों का जो हिस्सा लागू करवाना चाहता था, उसे लागू नहीं किया गया, इसलिए अब हम समझौते से अलग हो रहे हैं.'
वहीं, रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा, 'रूस ने तुर्की, यूक्रेन और संयुक्त राष्ट्र को बताया है कि रूस समझौते को आगे बढ़ाने के खिलाफ है.' रूस-यूक्रेन के बीच इस अनाज समझौते से वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतों को 20 फीसद तक कम रखने में मदद मिली है. समझौते से रूस के निकल जाने का असर पूरी दुनिया पर होने वाला है. इस खबर के बाहर आने के तुरंत बाद वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमत में 3.5 फीसद से अधिक का उछाल देखा गया है. दुनिया के सबसे बड़े अनाज उत्पादक यूक्रेन ने इस समझौते के तहत पिछले साल 3.2 करोड़ मीट्रिक टन से अधिक मक्का, गेहूं और अन्य अनाजों का निर्यात किया था. समझौता खत्म होने से पहले यूक्रेन से आखिरी जहाज रविवार को काला सागर के जरिए निकला था.
रूस और यूक्रेन दुनिया के दो बड़े कृषि उत्पादक हैं जो भारी मात्रा में गेहूं, जौ, मक्का, सरसों, सरसों का तेल, सूरजमुखी के बीज और सूरजमुखी तेल का उत्पादन और निर्यात करते हैं. उर्वरक बाजार में भी रूस का दबदबा है. रूस के अनाज समझौते से बाहर होने के बाद यूक्रेन को अनाज के निर्यात में दिक्कतें आएंगी. रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने पिछले सप्ताह कहा था कि काला सागर समझौते में रूस से संबंधित समझौते के कुछ हिस्सों को लागू नहीं किया गया है. उन्होंने कहा था कि वो इस पर ध्यान आकर्षित करने के लिए समझौते से रूस की भागीदारी निलंबित करने की सोच रहे हैं. उन्होंने कहा था कि जब रूस की सभी शर्तों को मान लिया जाएगा तब रूस समझौते में वापस आ जाएगा.
रूस काला सागर समझौते पर सहमत हो जाए, इसके लिए जुलाई 2022 में तीन वर्षीय एक समझौता भी हुआ था जिसके तहत संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी रूस को विदेशी बाजारों में अपने खाद्य और उर्वरक को बेचने में मदद करने पर सहमत हुए थे. यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस पर पश्चिमी देशों की तरफ से कई प्रतिबंध लगाए लेकिन उसके खाद्य और उर्वरकों पर कोई रोक नहीं है. लेकिन रूस का कहना है कि भुगतान, लॉजिस्टिक और बीमा पर प्रतिबंध के कारण उसे खाद्य और उर्वरक के निर्यात में दिक्कतें आ रही हैं. समझौते को लेकर पुतिन ने पिछले सप्ताह शनिवार को कहा था, 'हम समझौते में अपनी भागीदारी खत्म कर सकते हैं. लेकिन अगर हमसे कहा जाता है कि समझौते को लेकर हमसे किए गए सभी वादे पूरे किए जाएंगे तो पहले वो अपना वादा निभाएं. फिर हम समझौते में तुरंत शामिल हो जाएंगे.'