PTSD का हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी से होगा इलाज, शोधकर्ताओं ने किया दावा

बता दें कि PTSD दिमाग के टिश्यू में एक जैविक घाव के कारण होता है.

Update: 2022-02-24 08:56 GMT

दुनिया में काफी लोग पोस्ट-ट्रोमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से पीड़ित हैं. यह एक ऐसा मेंटल डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति अपने साथ घटी या देखी गई घटनाओं पर वर्तमान में प्रतिक्रिया देता है. इस बीमारी में मरीज किसी बुरी घटना को भूल नहीं पाता और उसको लगातार अनुभव करता रहता है. हालांकि, अब इजरायल में हुए एक शोध में इस बीमारी का कारगर इलाज खोजने का दावा किया गया है.

HBOT से हो सकता है इलाज
कोई भी इंसान इस बीमारी से तभी ग्रसित होता है, जब वो किसी गहरे सदमें में हो. जब भी बुरी घटनाएं, जीवन में अचानक घटती हैं और व्यक्ति को हक्का-बक्का कर देती हैं, ऐसी स्थिति से जूझने वाला व्यक्ति इस डिसऑर्डर का शिकार हो सकता है. वहीं, अब इजरायल के शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है कि हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी का उपयोग करते हुए PTSD के लक्षणों को कम किया जा सकता है.
बीमारी के लक्षणों में काफी सुधार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इजरायल के शोधकर्ता 35 IDF कॉम्बैट वेटरन्स (HBOT) में PTSD के लक्षणों को कम करने में सक्षम थे. ​​​परीक्षण के बाद तेल अवीव यूनिवर्सिटी और शमीर मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने बताया कि जिन भी मरीजों का इस पद्धति से इलाज किया गया था, उनमें सभी प्रकार के लक्षणों में काफी सुधार हुआ था.
दुनिया में 4% लोग हैं PTSD से पीड़ित
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, PTSD से दुनिया भर में लगभग 4% लोग पीड़ित हैं. वहीं, सैनिकों व पुलिस कर्मियों की बात की जाए, तो उनमें 30% लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं. तेल अवीव यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार, इस 'हाइपरबेरिक दवा' को इस तरह से परिभाषित किया जा सकता है. जहां दबाव वाले कक्ष में इलाज के लिए वायुमंडलीय दबाव समुद्र के स्तर के दबाव से अधिक होता है और हवा में ऑक्सीजन भरपूर होती है.
उपचार के लिए बनाए गए 2 ग्रुप
डॉ. केरेन डोनियस-बराक के अनुसार, शोध में शामिल सभी सैनिक पहले से मानसिक दवाओं और मनोचिकित्सा का उपयोग कर रहे थे. शोध में शामिल लोगों को 2 ग्रुपों में बांटा गया था. इनमें से एक ग्रुप का HBOT से इलाज किया गया, जबकि दूसरे ने एक कंट्रोल ग्रुप के तौर पर कार्य किया.
इलाज के बाद कई वर्षों तक रहेगा असर
डोएनियस-बराक ने कहा कि PTSD से पीड़ित दोनों ग्रुप के बिना इलाज किए गए चोटों में कार्यात्मक और संरचनात्मक सुधार देखा गया था. हम मानते हैं कि अधिकांश मरीजों में इलाज पूरा होने के बाद वर्षों तक सुधार देखा जाएगा. बता दें कि PTSD दिमाग के टिश्यू में एक जैविक घाव के कारण होता है.


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