तीन महीने से चल रही थाईलैंड में राजतंत्र के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन, अब हुई आपातकाल की घोषणा
थाईलैंड में राजतंत्र में सुधार और प्रधानमंत्री प्रयुत चान ओचा के इस्तीफे की मांग को लेकर पिछले तीन महीने से प्रदर्शन कर रहे
थाईलैंड में राजतंत्र में सुधार और प्रधानमंत्री प्रयुत चान ओचा के इस्तीफे की मांग को लेकर पिछले तीन महीने से प्रदर्शन कर रहे छात्रों के विरोध को कुचलने के लिए देश में कड़े आपातकाल की घोषणा की गई है। पुलिस ने कम से कम 20 प्रदर्शनकारियों को अरेस्ट किया है। आपातकाल के तहत 5 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने और राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाली खबरों के प्रकाशन पर रोक लगा दिया गया है।
थाईलैंड की पुलिस ने प्रधानमंत्री के कार्यालय के बाहर रातभर डेरा डाले रहे लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों के समूह को गुरुवार की तड़के तितर-बितर कर दिया। प्रधानमंत्री ने राजधानी क्षेत्र में आपातकाल लागू कर दिया है, ताकि प्राधिकारी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सके। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर किया।
आपातकाल के उल्लंघन के आरोप में 20 लोग गिरफ्तार
थाईलैंड में कोरोना वारयस संक्रमण के मद्देनजर लागू प्रतिबंधों के कारण पहले ही आपातकाल जैसी स्थिति है। पुलिस कार्रवाई से पहले ही प्रदर्शनकारियों के एक नेता ने प्रधानमंत्री कार्यालय 'गवर्नमेंट हाउस' में रैली समाप्त करने की घोषणा कर दी थी, जिसके बाद कई प्रदर्शनकारी पहले ही वहां से जा चुके थे। इसके बावजूद सौ से अधिक लोग वहां मौजूद थे।
प्रदर्शनकारियों ने घोषणा की है कि राजधानी बैंकाक में अब किसी अन्य स्थान पर गुरुवार दोपहर को रैली होगी, लेकिन उप पुलिस प्रवक्ता कर्नल किस्साना फाथानाचारोएन ने उन्हें ऐसा नहीं करने के लिए सचेत किया। पुलिस ने बताया कि उसने आपातकाल के उल्लंघन के आरोप में 20 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। उन पर आधिकारिक रूप से आरोप नहीं लगाए गए हैं।
थाईलैंड में क्यों हो रहे हैं विरोध प्रदर्शन
प्रदर्शनकारी थाईलैंड के संवैधानिक राजतंत्र में सुधार की मांग कर रहे हैं। उनका दावा है कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था में उचित तरीके से काम नहीं करता। पहले थाईलैंड की सेना प्रमुख रहे प्रयुत्त चान-ओ-चा 2014 में तख्तापलट कर देश की सत्ता हथिया ली थी। उनके ही नेतृत्व में 2016 में थाईलैंड का नया संविधान तैयार हुआ था। जिसमें कई ऐसे नियम बनाए गए थे जो मानवाधिकार के खिलाफ थे। इसमें सरकार और राजा की आलोचना करने वालों को गंभीर सजा देने का प्रावधान भी है। थाईलैंड में 2019 में चुनाव भी हुए थे जिसमें प्रयुत्त की पार्टी को जीत मिली थी। हालांकि, लोगों का आरोप है कि सरकार ने अपनी ताकत के बल पर गड़बड़ी करवा कर चुनाव में जीत हासिल की थी। तभी से उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है।