राजनीतिक बवाल के बीच प्रचंड को प्रधानमंत्री ओली ने दी खुली चुनौती, कहा -हटा सकते हैं तो मुझे हटा दें
नेपाल में जारी राजनीतिक बवाल के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपनी ही पार्टी के विपक्षी गुट की अगुवाई कर रहे पुष्प कमल दहल प्रचंड को खुली चुनौती दी है।
नेपाल में जारी राजनीतिक बवाल के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपनी ही पार्टी के विपक्षी गुट की अगुवाई कर रहे पुष्प कमल दहल प्रचंड को खुली चुनौती दी है। ओली ने अपने गृह जिले झापा में एक रैली के दौरान सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रचंड के नेतृत्व वाले धड़े को चुनौती दी कि अगर वे हटा सकते हैं, तो उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटा दें। बता दें कि कुछ दिन पहले ही नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने पीएम ओली के फैसले को पलटते हुए संसद को बहाल कर दिया था। जिसके बाद से प्रचंड सहित सभी विपक्षी दलों ने ओली का इस्तीफा मांगा था।
ओली ने प्रचंड को अविश्वास प्रस्ताव लाने की चुनौती दी
पीएम ओली ने पुष्प कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व वाले धड़े को अविश्वास प्रस्ताव लाने की चुनौती भी दी। नेपाली प्रधानमंत्री ने कहा कि केपी ओली अब भी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के संसदीय दल के नेता हैं। वह पार्टी अध्यक्ष होने के साथ ही प्रधानमंत्री भी हैं। अगर आपने संसद को बहाल किया है, तो केपी ओली को प्रधानमंत्री के पद से हटा दें। अगर आप हटा सकते हैं, तो मुझे हटा दें। अगर मुझे हटाया जाता है तो मैं अगले चुनाव में दो तिहाई बहुमत से जीत हासिल करुंगा। माना जा रहा है कि ओली के इस बयान के बाद नेपाल की राजनीति और गरमाने वाली है।
नेपाली सुप्रीम कोर्ट ने पलटा ओली का फैसला
पिछले साल नेपाल में उस समय राजनीतिक संकट पैदा हो गया था, जब 20 दिसंबर को राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर संसद के निचले सदन को भंग करने और नए चुनाव कराने की घोषणा की थी। पिछले हफ्ते नेपाली उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने एक ऐतिहासिक फैसले में संसद के 275 सदस्यीय निचले सदन को भंग करने के ओली सरकार के असंवैधानिक फैसले को रद्द कर दिया। न्यायालय ने सरकार को अगले 13 दिनों के भीतर सदन का सत्र बुलाने का भी आदेश दिया।
ओली ने क्यों भंग की थी नेपाली संसद
पीएम ओली को पहले से ही पता था कि संसद के सत्र के दौरान विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर उनका प्रतिद्वंदी धड़ा अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है। इसी कारण उन्होंने आनन-फानन में संसद को भंग करने की सिफारिश कर दी थी। हालांकि अब उन्हें इसका सामना करना ही पड़ेगा। अगर विपक्ष एकजुट हो गया तो ओली के लिए कुर्सी बचाना लगभग नामुमकिन हो जाएगा।