राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने सभी राजनीतिक दलों को दिया आमंत्रण, श्रीलंका में बनेगी सर्वदलीय सरकार

श्रीलंका अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट के गुजर रहा है। इस बीच राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने सभी पार्टियों के संसद सदस्यों को पत्र लिखकर उन्हें आर्थिक संकट से उबरने में मदद करने के लिए एक पत्र लिखा है।

Update: 2022-07-30 05:27 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। श्रीलंका अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट के गुजर रहा है। इस बीच राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने सभी पार्टियों के संसद सदस्यों को पत्र लिखकर उन्हें आर्थिक संकट से उबरने में मदद करने के लिए एक पत्र लिखा है। उन्होंने सभी सांसदों को सर्वदलीय राष्ट्रीय सरकार बनाने का निमंत्रण दिया है। बता दें कि रानिल पहले भी सर्वदलीय सरकार बनाने की पैरवी कर चुके हैं।

विक्रमसिंघे ने पत्र में कहा...
विक्रमसिंघे ने शुक्रवार को लिखे पत्र में कहा कि सरकार वर्तमान में आर्थिक संकट से उत्पन्न राजनीतिक और सामाजिक अशांति को धीरे-धीरे सामान्य करने के लिए बड़े प्रयासों में लगी हुई है। इसके चलते एक व्यवस्थित आर्थिक ढांचा लागू करने के लिए आवश्यक प्रारंभिक योजनाएं तैयार की जा रही है, जबकि आर्थिक स्थिरता के निर्माण के लिए प्रारंभिक उपाय भी किए जा रहे हैं। विक्रमसिंघे ने कहा कि एक बेहतर कार्य योजना केवल संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी राजनीतिक दलों, विशेषज्ञ समूहों और नागरिक समाज की भागीदारी के साथ ही लागू किया जा सकती है।
19वें संशोधन करने का भी प्रस्ताव
राष्ट्रपति रानिल ने संविधान में 19वें संशोधन करने के लिए पार्टियों के साथ बातचीत शुरू करने का भी प्रस्ताव रखा है। बता दें 2015 में अपनाया गया 19A के तहत राष्ट्रपति के ज्यादा संसद को सशक्त बनाकर राष्ट्रपति की शक्तियों को कम कर दिया गया था। विक्रमसिंघे 2015 में 19वें संशोधन के मुख्य प्रायोजक थे। हालांकि, 19A को नवंबर 2019 के राष्ट्रपति चुनाव में गोटबाया राजपक्षे के जीतने के बाद इसे समाप्त कर दिया गया था।
जुलाई को रानिल विक्रमसिंघे बने नए राष्ट्रपति
बता दें कि श्रीलंका के सांसदों ने 20 जुलाई को ही विक्रमसिंघे को देश का नया राष्ट्रपति चुना है। जिसमें से अधिकांश वोट अपदस्थ राष्ट्रपति राजपक्षे की श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसदों से आए। शुक्रवार को नियुक्त मंत्रिमंडल में केवल दो गैर-एसएलपीपी सांसद रखे गए हैं। संवैधानिक रूप से, मंत्रिमंडल को 30 सदस्यों तक बढ़ाया जा सकता है।
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