राष्ट्रपति राजपक्षे ने चली देशभक्ति जगाने की चाल, अनिवासियों को लुभाया
श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। ऐसे में गोटबया राजपक्षे सरकार अब विदेशों में बसे श्रीलंकाइयों के सहारे देश को इस संकट से निकलने का रास्ता ढूंढ रही है। इसके लिए उसने अनिवासी श्रीलंकाइयों में देशभक्ति की भावना जगाने का दांव चला है।
श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। ऐसे में गोटबया राजपक्षे सरकार अब विदेशों में बसे श्रीलंकाइयों के सहारे देश को इस संकट से निकलने का रास्ता ढूंढ रही है। इसके लिए उसने अनिवासी श्रीलंकाइयों में देशभक्ति की भावना जगाने का दांव चला है। श्रीलंका के स्वतंत्रता दिवस को इसका अवसर बनाया गया।
श्रीलंका ने 4 फरवरी को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाया। इस मौके पर राष्ट्रपति गोटबया राजपक्षे ने विदेशों में रह रहे श्रीलंकाई नागरिकों से अपील की कि वे अपनी कमाई अपने देश में भेजें। इससे श्रीलंका को आर्थिक संकट से निकलने में मदद मिलेगी। श्रीलंका कई मोर्चों पर आर्थिक मुसीबत झेल रहा है, लेकिन उसके सामने सबसे बड़ी समस्या विदेशी मुद्रा की कमी है। श्रीलंका विदेशी मुद्रा भंडार खाली होने के करीब है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि ऐसे में अगर सचमुच श्रीलंकाई नागरिकों ने विदेशों से अपनी कमाई वापस भेजी तो देश को इस मोर्चे पर राहत मिलेगी।
रोजमर्रा के सामान की किल्लत, महंगाई दर 12 फीसदी पर पहुंची
इस समय श्रीलंका में रोजमर्रा की जरूरत के सामान की भारी कमी है। दूध पाउडर, रसोई गैस, केरोसीन और दूसरी चीजें आसानी से नहीं मिल रही हैं। इस वजह से जरूरी उपयोग की चीजें बहुत महंगी हो गई हैं। दिसंबर में श्रीलंका में महंगाई दर 12.1 प्रतिशत हो गई। जानकारों का कहना है कि अगर विदेशी मुद्रा की कमी नहीं होती, तो सरकार जरूरी चीजों का आयात बढ़ा कर आपूर्ति बनाए रख सकती थी। लेकिन अभी उसके पास आयात बढ़ाने लायक विदेशी मुद्रा नहीं है।
महामारी ने तोड़ी कमर
टीवी चैनल अल-जजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है। सरकार का अनुमान है कि महामारी की वजह से पिछले दो साल में श्रीलंका को 14 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है। श्रीलंका जैसे छोटे देश के लिए यह बहुत बड़ी क्षति है। महामारी की वजह से पर्यटकों के ना आने के कारण देश के विदेशी मुद्रा का स्रोत सूखा हुआ है। इन सबका नतीजा है कि पिछले साल जुलाई से सितंबर की तिमाही में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में 1.5 फीसदी सिकुड़न आई।
इसी परिस्थिति का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति राजपक्षे ने शुक्रवार कोलंबो में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान कहा- 'विदेशों में रह रहे तमाम श्रीलंकाइयों को मैं आमंत्रण देता हूं कि वे अपनी मातृभूमि में निवेश करें।' विश्लेषकों का कहना है कि विदेशों से वापस आने वाली कमाई भी श्रीलंका के लिए विदेशी मुद्रा का एक बड़ा स्रोत रही है, लेकिन पिछले साल इसमें करीब 60 प्रतिशत की कमी आई। पिछले साल इस जरिये से सिर्फ 81 करोड़ 20 लाख डॉलर की रकम श्रीलंका आई।
भुगतान के लिए विदेशी मुद्रा नहीं
विश्लेषकों का कहना है कि इस गिरावट के लिए खुद सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं। सरकार ने देश में विदेशी मुद्रा के कन्वर्जन को अनिवार्य कर दिया। इसके बाद विदेशों में रहने वाले श्रीलंकाइयों ने वापस रकम भेजनी कम कर दी। इससे विदेशी मुद्रा की समस्या गहरा गई। इसका नतीजा है कि कई आयातक बंदरगाह तक पहुंच चुकी चीजों को भी नहीं ले पा रहे हैं, क्योंकि उनके पास भुगतान करने के लिए विदेशी मुद्रा नहीं है।