फ्रांस चुनाव में राष्ट्रपति मैक्रों के गठबंधन को मिल सकता है बहुमत, ज्यादातर जिलों में जीत की संभावना

फ्रांस में पहले दौर के मतदान के बाद देश के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के मध्यमार्गी गठबंधन के संसदीय बहुमत बनाए रखने की संभावना है.

Update: 2022-06-13 05:36 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। फ्रांस में पहले दौर के मतदान के बाद देश के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (French President Emmanuel Macron) के मध्यमार्गी गठबंधन के संसदीय बहुमत बनाए रखने की संभावना है. रविवार को जारी रुझानों से यह संकेत मिला है. आंशिक चुनाव परिणाम (Election Result) पर आधारित रुझान के अनुसार, मैक्रों और उनके सहयोगियों को 25 से 26 प्रतिशत मत मिले. हालांकि, धुर-वामपंथी, समाजवादी और ग्रीन पार्टी के सहयोगियों से बने नए वामपंथी गठबंधन से मैक्रों के गठबंधन को कड़ी चुनौती मिल रही है, बावजूद इसके राष्ट्रपति की पार्टी के उम्मीदवारों के अधिकतर जिलों में विजयी रहने का अनुमान है.

नेशनल असेंबली की 577 सीटों के लिए हो रहे पहले चरण के चुनाव में छह हजार से अधिक उम्मीदवार मैदान में हैं. इस चरण में सबसे अधिक मत हासिल करने वाले उम्मीदवार 19 जून को होने वाले दूसरे दौर में पहुंच जाएंगे, जिसमें हार-जीत का फैसला होगा. फ्रांस में रविवार को संसदीय चुनाव के लिए मतदान हुआ. इस चुनाव को बहुमत की आस लगाए बैठे राष्ट्रपति मैक्रों के लिए एक परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है. मई में मैक्रों के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद उनका मध्यमार्गी गठबंधन इस चुनाव में स्पष्ट बहुमत हासिल करना चाहता है, ताकि वह अपने चुनावी वादों को पूरा कर सके.
वादों में करों में कटौती शामिल
इन चुनावी वादों में करों में कटौती और सेवानिवृत्ति की आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष करना शामिल है. चुनाव पूर्व सर्वेक्षण बताते हैं कि मैक्रों और उनके सहयोगियों को बहुमत हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है. ताजा सर्वेक्षण के अनुसार, इस चुनाव में धुर वामपंथी नेता ज्यां-लुस मेलेंकोन के नेतृत्व वाले गठबंधन के 200 से अधिक सीटें जीतने का अनुमान है. हालांकि उसके भी बहुमत के आंकड़े से थोड़ा पीछे रहने की संभावना है. वहीं मैक्रों और उनके सहयोगियों को 255 से 300 से अधिक सीट पर जीत मिल सकती है.
मेलेंकोन ने मतदाताओं से अपने गठबंधन को बहुमत दिलाने का आग्रह किया है. उन्हें वैश्वीकरण के विरोधी, फ्रांस को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) से बाहर निकालने के हिमायती और यूरोपीय संघ के नियमों की अवज्ञा का आह्वान करने वाले नेता के तौर पर जाना जाता है. इससे पहले खबर आई थी कि संसदीय चुनाव के लिए मतदान में दोपहर तक 4 करोड़ 87 लाख मतदाताओं में से केवल 18 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. वहीं राष्ट्रपति चुनावों में मैक्रों का मुकाबला दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन के साथ हुआ था. दोनों ने पहले दौर के मतदान में 10 अन्य उम्मीदवारों को पीछे छोड़ दिया था और फिर इनके बीच करीबी मुकाबला हुआ. जिसमें मैक्रों को जीत हासिल हुई.
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