ब्रह्मोस-2 की रफ्तार से डरे राष्ट्रपति आरिफ अल्वी,कहा- हमें अपनी डिफेंस मजबूत करना होगा

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी भारत के हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-

Update: 2021-02-25 18:45 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : इस्लामाबाद: पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी भारत के हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-2 से डर जताया है। मिराज एयरक्राफ्ट के पाकिस्तानी वायुसेना में 50 साल पूरा होने पर आयोजित कार्यक्रम में शरीक हुए पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने ब्रह्मोस-2 मिसाइल बनाई है। इस मिसाइल की स्पीड 8.5 मैक है, मतलब आवाज की रफ्तार से 8.5 गुना ज्यादा तेज। ब्रह्मोस मिनट के अंदर पाकिस्तान में प्रवेश कर सकता है। इसलिए, हमें अपने स्वघोषित दुश्मन के खिलाफ डिफेंस को मजबूत बनाने की जरूरत है।

पाकिस्तानी वायुसेना की तारीफों के पुल बांधे
उन्होंने पाकिस्तानी वायुसेना के तारीफों में कसीदे पढ़ते हुए कहा कि पीएएफ प्रतिकूल परिस्थितियों में भी किसी भी दुस्साहस के खिलाफ देश की रक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम है। उन्होंने यहां तक दावा किया क पीएएफ ने कई बार सीमित संसाधनों के बावजूद विशेष रूप से झगड़ालू पड़ोसी भारत के दुस्साहस का करारा जवाब देते हुए अपनी ताकत साबित की है।
ब्रह्मोस से क्यों डरे हुए हैं पाकिस्तानी राष्ट्रपति

ब्रह्मोस की रफ्तार और अचूक निशाना इसे सबसे घातक हथियारों में शुमार करता है। यह मिसाइल 9800 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से 1000 किलोमीटर की दूरी पर बैठे दुश्मन को पलक झपकते खत्म कर सकती है। इसे किसी भी युद्धपोत, पनडुब्बी, लड़ाकू विमान या जमीन पर मौजूद मोबाइल लॉन्चर से दागा जा सकता है। यह दुनिया की पहली ऐसी मिसाइल भी है जिसे जल, थल और नभ तीनों जगहों से फायर किया जा सकता है।
भारत-रूस ने मिलकर बनाई ब्रह्मोस मिसाइल

ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है।
ब्रह्मोस को और घातक बना रहे भारत-रूस
भारत और रूस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के नए वैरियंट को बना रहे हैं। नई मिसाइल दुश्मन देश के अवाक्स सिस्टम (एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल) वाले प्लेन को मार गिराने में कारगर होगी। अवाक्स सिस्टम को उसके साइज और वजन के हिसाब से भारी और मध्यम श्रेणी के विमानों के ऊपर लगाया जाता है। इसकी मदद से विमान के अंदर बैठे ऑपरेटर्स एक निश्चित दूरी तक हवाई जहाजों और मिसाइलों की उड़ान पर नजर रखते हैं।


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