G7 की बैठक के लिए जापान पहुंचे पीएम मोदी

Update: 2023-05-19 12:27 GMT
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी G7 देशों की बैठक में शामिल होने के लिए जापान पहुंच गए हैं। यहां वो दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे। 66 साल बाद यह पहला मौका है जब भारत का कोई प्रधानमंत्री जापान के हिरोशिमा शहर पहुंच रहा है। जवाहरलाल नेहरू 1957 में हिरोशिमा गए थे।
जापान के हिरोशिमा शहर में शुक्रवार को G7 देशों की सालाना बैठक शुरू हो चुकी है। वहीं, समिट के पहले ही दिन संगठन के नेताओं ने रूस पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। G7 के नेताओं ने रूस से मांग की है कि वो तुरंत यूक्रेन से अपनी सेना को बाहर निकाले। G7 दुनिया के सात देशों से बना संगठन है जो जंग में यूक्रेन का साथ दे रहे हैं। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, कनाडा, जापान और फ्रांस शामिल हैं।
रूस पर 300 पाबंदियां लगाने की तैयारी कर रहा अमेरिका
बैठक शुरू होने से पहले ही एकतरफ जहां ऋषि सुनक ने ब्रिटेन में रूस के हीरों पर बैन लगा दिया। वहीं, अमेरिका भी रूस पर 300 से ज्यादा पाबंदियां लगाने की प्लानिंग कर रहा है। G7 के नेताओं का कहना है कि वो रूस पर इतनी पाबंंदियां लगाएंगे की उनकी मशीनरी के पास जंग लड़ने के संसाधन ही नहीं बचेंगे। इन सब के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति रविवार को G7 की बैठक में शामिल होने जापान पहुंचेगे। आज वो सऊदी में हो रही अरब लीग में शामिल हो रहे हैं।
G7 देशों के नेताओं ने सेकेंड वर्ल्ड वॉर में अमेरिका के परमाणु हमले में मारे गए हिरोशिमा के लोगों को श्रद्धांजलि दी।
तस्वीर जापान के एक बौद्ध भिक्षु की है,जो भारत और दूसरे देशों से परमाणु संधि (NPT) पर साइन करने की अपील कर रहा है।
G7 की बैठक के खिलाफ जापान में प्रदर्शन हो रहे हैं। ये लोग यूक्रेन जंग और परमाणु हथियारों के उत्पादन को बंद कराने की मांग कर रहे हैं।G7 की बैठक के खिलाफ जापान में प्रदर्शन हो रहे हैं। ये लोग यूक्रेन जंग और परमाणु हथियारों के उत्पादन को बंद कराने की मांग कर रहे हैं।
तस्वीर G7 की बैठक के लिए जापान के हिरोशिमा शहर पहुंचे अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी पत्नी जिल बाइडेन की है। जापान के प्रधानमंत्री फुमिया किशिदा उन्हें रिसीव कर रहे हैं।
भारत का दौरा इसलिए अहम...
हिरोशिमा में मोदी की मौजूदगी अहम है। दरअसल, भारत उन देशों में शामिल है जिसने न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी (परमाणु अप्रसार संधि या NPT) पर साइन नहीं किए हैं। इस समझौते का उद्देश्य परमाणु परीक्षण पर रोक लगाना है। हिरोशिमा दुनिया का पहला शहर है, जहां इतिहास का पहला और अब तक आखिरी एटमी हमला किया गया था।
पीस मेमोरियल पार्क भी जाएंगे
विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा- हिरोशिमा में मोदी महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। समिट के बाद वो G-7 नेताओं के साथ पीस मेमोरियल पार्क भी जाएंगे। ये पार्क न्यूक्लियर अटैक के पीड़ितों की याद में बनाया गया है।
तस्वीर हिरोशिमा स्थित पीस मेमोरियल पार्क की है। यहां परमाणु हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
QUAD मीटिंग सिडनी की जगह हिरोशिमा में कराने की कोशिश
क्वात्रा ने कहा- मोदी जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा समेत अन्य देशों के नेताओं के साथ आपसी संबंधों पर चर्चा करेंगे। हम कोशिश कर रहे हैं कि QUAD देशों के नेताओं की बैठक भी हिरोशिमा में ही हो जाए। इसकी वजह यह है कि डेट्स की प्रॉब्लम के चलते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन सिडनी दौरा रद्द कर चुके हैं।
क्वात्रा ने बताया कि G-7 समिट के बाद PM मोदी पापुआ न्यू गिनी जाएंगे। यहां वो कुछ ही घंटे रुकेंगे और फिर 22 मई को ऑस्ट्रेलिया रवाना हो जाएंगे।
चीन के दबदबे को कम करने G7 देश बनाएंगे प्लान
न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक- समिट के दौरान रूस-यूक्रेन जंग पर भी चर्चा होगी। अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि इस दौरान चीन के बढ़ते आर्थिक दबदबे पर चर्चा की जाएगी। जॉइंट स्टेटमेंट में एक पूरा सेक्शन चीन की चुनौती से निपटने के तरीकों पर भी होगा।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बाइडेन की फॉरेन पॉलिसी का फोकस चीन से मुकाबले पर है। हालांकि, डोनाल्ड ट्रम्प ने भी G7 के जरिए चीन के आर्थिक दबदबे पर सवाल उठाए थे, लेकिन उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया था।
हिरोशिमा में शुरू हो रही बैठक चीन के खिलाफ G7 देशों की एकजुटता को भी परखेगी। दरअसल, पिछले महीने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने चीन से लौटने के बाद वन चाइना पॉलिसी का समर्थन किया था। मैक्रों ने कहा था कि हमें चीन से संबंधों पर अमेरिका के दबाव से बचना होगा। ऐसे में फ्रांस G7 देशों के जॉइंट स्टेटमेंट में चीन के खिलाफ बयानबाजी को लेकर बचने की कोशिश कर सकता है
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