पीएम इमरान ने बिल गेट्स से मांगी मदद, कहा-देश को मानवीय सहायता की सख्‍त जरूरत

फिर सब-कुछ अशांत हो जाएगा. यहां पर सबसे बड़ा मानवधिकार संकट पैदा होने वाला है, एक बड़ा शरणार्थी संकट आने वाला है.’

Update: 2021-10-07 04:35 GMT

पाकिस्‍तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) अफगानिस्‍तान (Afghanistan) के लिए बेहद परेशान हैं. परेशान इमरान ने अब माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर और अरबपति बिल गेट्स से मदद मांगी है. इमरान ने यह मदद अफगानिस्‍तान को मानवीय सहायता मुहैया कराने के लिए मांगी है. 15 अगस्‍त को तालिबान ने काबुल पर कब्‍जा किया था और तब से ही ऐसी रिपोर्ट्स आ रही हैं कि देश को मदद की सख्‍त जरूरत है.

जो खबरें आ रही हैं, उसके मुताबिक इमरान ने गेट्स से फोन पर बात की है. गेट्स इस समय बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के को-चेयरमैन हैं. इमरान ने इस दौरान पोलियो को खत्‍म करने के लिए जारी प्रयासों पर भी चर्चा की. साथ ही उन्‍होंने पाकिस्‍तान में पोषण की बेहतर होती स्थिति और वित्‍तीय सेवाओं के लिए फाउंडेशन की तरफ से जारी मदद पर भी बात की. इस बाबत इमरान के ऑफिस की तरफ से एक बयान जारी किया गया है.
गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं लोग
पाकिस्तान के जियो टीवी के मुताबिक, 5 अक्टूबर को टेलीफोन पर बातचीत पर पीएम इमरान खान ने बिल गेट्स से कहा है कि युद्धग्रस्त देश अफगानिस्तान में आधी से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है. उन्हें वित्तीय सहायता की सख्त जरूरत है. पीएम ऑफिस की मानें तो इमरान ने अफगानिस्तान की स्वास्थ्य प्रणाली को लेकर बातचीत की है. साथ ही उनका मानना है कि दुनिया में पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अब तक पोलियो का खतरा बना हुआ है.
तालिबान के साथ वार्ता की बात
इमरान ने पिछले दिनों दिए एक इंटरव्‍यू में कहा था कि अफगानिस्‍तान में शांति और स्थिरता का सर्वश्रेष्‍ठ तरीका बस तालिबान के साथ वार्ता है. साथ ही महिला अधिकारों और खास तरीके से सरकार चलाने के लिए तालिबान के साथ वार्ता ही एकमात्र विकल्‍प है. उनका कहना था कि तालिबान को थोड़ा समय देने की जरूरत है. साथ ही वो यह कहना भी नहीं भूले कि अगर तालिबान को मदद नहीं मिली तो फिर एक अशां‍ति की स्थिति पैदा हो सकती है.
तालिबान के साथ मिलकर चलने की बात
इमरान के शब्‍दों में, 'तालिबान ने पूरे अफगानिस्‍तान पर कब्‍जा कर लिया है और अब यहां की सरकार के साथ मिलकर, उनके साथ में मिलकर और सभी गुटों को साथ लेकर चलना ही पड़ेगा. अफगानिस्‍तान में हो सकता है कि 40 साल के बाद शांति आ जाए. लेकिन अगर कुछ गलत हुआ और हम इसके लिए परेशान हैं, फिर सब-कुछ अशांत हो जाएगा. यहां पर सबसे बड़ा मानवधिकार संकट पैदा होने वाला है, एक बड़ा शरणार्थी संकट आने वाला है.'


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