परसेवरेंस रोवर ने कसी कमर, अब खोलेगा मंगल पर जीवन के राज
चट्टानें खोलेंगी इतिहास का राज
पिछले एक महीने में परसेवरेंस रोवर (Perseverance Rover) ने अपना ज्यादातर समय मंगल ग्रह पर इनजेनिटी हेलीकॉप्टर (Ingenuity Helicopter) की उड़ानों को रिकॉर्ड करने में बिताया है. इस दौरान रोवर ने मंगल (Mars) से कई तस्वीरें भी शेयर कीं. अब परसेवरेंस रोवर अपने प्राथमिक मिशन के लिए तैयारी कर रहा है जिसमें जेज़ेरो क्रेटर (Jezero Crater) का अध्ययन और मंगल ग्रह पर प्राचीन जीवन के संकेतों की खोज शामिल है.
करीब 3.9 अरब साल पहले जेज़ेरो गड्ढा एक झील से भरा हुआ था, जिसमें एक नदी डेल्टा का पानी था. अब उम्मीद है कि सूखी झील और बिखरी चट्टानें वैज्ञानिकों को मंगल पर इस क्षेत्र के इतिहास के अध्ययन में मदद कर सकती हैं, जिससे यह जानना आसान हो जाएगा कि क्या यहां कभी जीवन अस्तित्व में था?
चट्टानें खोलेंगी इतिहास का राज
चट्टानों के अध्ययन से पता चल सकता है कि झील कब बनी और कब सूखी? चट्टानों से बनने वाली टाइमलाइन रिसर्चर्स को सैंपल्स की तारीख निर्धारित करने में मदद करेगा, जिन्हें अगले दो सालों में रोवर द्वारा इकट्ठा किया जाएगा. आने वाले समय में अलग-अलग मिशनों से पृथ्वी पर वापस आने वाले इन नमूनों में प्राचीन जीवन की मौजूदगी को संरक्षित करने वाले माइक्रोफ़ॉसिल शामिल हो सकते हैं.
रोवर द्वारा हाल ही में ली गई तस्वीर गड्ढे की सतह पर बिखरी हुई चट्टानों और कंकड़ को दिखाती है. साथ ही इसमें सैंटा क्रूज नाम की पहाड़ी भी नजर आती है जो कि रोवर से 1.5 मील (2.4 किलोमीटर) दूर स्थित थी. बता दें कि जेज़ेरो लगभग 28 मील (45 किलोमीटर) चौड़ा और मार्टियन भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित है. ये रोवर की लैंडिंग साइट से 2,300 मील (3,700 किलोमीटर) दूर स्थित है.
सुपरकैम और लेजर से लैस रोवर
रोवर को कैमरों और उपकरणों के साथ तैयार किया गया है, जो चट्टानों की जांच में इसकी मदद करता है. इसमें सुपरकैम और एक लेजर उपकरण भी लगा हुआ है, जो कि पहले से ही रासायनिक संरचना को निर्धारित करने के लिए कुछ चट्टानों को टेप कर चुका है. इस क्षेत्र में चट्टानों के प्रकार का निर्धारण बेहद अहम है.
अगर वो तलछटी हैं तो बलुआ पत्थर की तरह संभवतः पानी के चारों ओर बनते हैं और इसमें खनिज और रेत, गाद या मिट्टी हो सकती है जो पिछले जीवन के संकेतों को संरक्षित करती है, जिसे बायोसिग्नर्स कहा जाता है. वहीं आग्नेय चट्टानें, जो ज्वालामुखीय गतिविधि से बनती हैं, जब वो बनती हैं, तो समय की मोहर की तरह काम करती हैं.