पाकिस्तान की नापाक करतूतों का एक बार फिर पर्दाफाश, नेता Ata Noor ने लगाया ये बड़ा आरोप
पाकिस्तान (Pakistan) की नापाक करतूतों का एक बार फिर पर्दाफाश हुआ है.
पाकिस्तान (Pakistan) की नापाक करतूतों का एक बार फिर पर्दाफाश हुआ है. इस्लामाबाद के स्याह चेहरे को इस बार आईना अफगानिस्तान (Afghanistan) ने दिखाया है. वरिष्ठ अफगान नेता और लीजेंड्री नॉर्दन अलाएंस के पूर्व नेता अता मोहम्मद नूर (Ata Mohammad Noor ) ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि तालिबान की जन्म स्थली पाकिस्तान है. अफगान नेता का हालिया बयान तालिबान के बड़े नेता अब्दुल गनी बरदाद की कराची में उनके समर्थकों की मौजूदगी में हुए एक कार्यक्रम की तस्वीरें सामने आने के बाद आया है.
पाकिस्तान के साथ सहयोग की जताई उम्मीद
अता पूर्व में अफगानिस्तान के उत्तरी बल्ख प्रांत के गवर्नर रह चुके हैं. उन्होंने कहा, ' हम जानते हैं पाकिस्तान ही तालिबान की जन्मस्थली है जो उन्हें हमेशा से हर तरीके से सपोर्ट करता आया है. इसके बावजूद हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान दोनों देशों की साझा चिंता और हमारी सीमा सुरक्षा को लेकर इमानदारी से अफगानिस्तान का सहयोग करेगा.
नूर ने हाल ही में अपने देश के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक का जिक्र करते हुए अहम जानकारी दी. नूर ने बताया कि इस दौरान तालिबानी लड़ाकों के नए ठिकाने की जानकारी मिली. जिन्हें अफगान सीमा के नजदीक सुरक्षित ठिकानोंमें शिफ्ट किया जाना था.
इस्लामाबाद में इमरान खान से मिले थे तालिबान के बड़े नेता
दिसंबर की शुरुआत में तालिबान (Taliban) का शीर्ष नेतृत्व इस्लामाबाद (Islamabad) में था. उस दौरान उन्होंने पाकिस्तानी पीएम इमरान खान (Imran Khan) और मुल्क के विदेश मंत्री एसएम कुरैशी से मुलाकात की थी. उस दौरान भी तालिबानी लड़ाकों की गतिविधियों पर पर्दा डाल दिया गया था.
अक्टूबर 2020 में भारत के दौरे पर आए थे अफगान नेता अता नूर
अफगानिस्तान के वरिष्ठ नेता अता मोहम्मद नूर भारतीय नेतृत्व के साथ बातचीत के लिए नई दिल्ली पहुंचे थे. जमीयत पार्टी के सीईओ अता नूर अफगानिस्तान में भारत के करीबी सहयोगी हैं, दिलचस्प बात यह है कि नूर का बेटा खालिद नूर (Khalid Noor) इंट्रा अफगान वार्ता के लिए अफगान सरकार की टीम का हिस्सा रहा है. 25 वर्षीय खालिद, तालिबान के साथ बातचीत करने वाली टीम के सबसे युवा सदस्य हैं.
कौन हैं अता नूर?
2016 में उन्होंने मजार-ए-शरीफ (Mazar-i-Sharif) में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर आतंकवादी हमले को रोकने और उसकी रक्षा के लिए खुद हथियार उठा लिए थे. 1990 के दशक में तालिबानी शासन के दौरान, नूर ने अहमद शाह मसूद के नॉर्दन फ्रंट में बतौर कमांडर काम किया था. नूर वर्तमान में जमीयत-ए-इस्लामी अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (Chief Executive of Jamiat-e Islami Afghanistan ) हैं. जो कुछ समय पहले भारत के सहयोग से शांति प्रक्रिया के दौरान हुई बातचीत का हिस्सा रह चुके हैं.