तालिबान के प्रति पाकिस्तान का प्रेम एक बार फिर जगजाहिर, इमरान ने अपने मंत्रियों से अफगान मुद्दे पर चुप रहने को कहा
तालिबान ने सभी विरोधियों को माफ करने और लड़कियों को पढ़ाई लिखाई जारी रखने की छूट दी है।
तालिबान के प्रति पाकिस्तान का प्रेम एक बार फिर जगजाहिर हो गया है। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जा करने के कुछ दिन बाद ही पाक पीएम इमरान खान ने अपने मंत्रियों को इस मुद्दे पर बोलने या कोई बयान जारी करने पर रोक लगाई है। खान ने अपने मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों से कहा है कि वे अफगानिस्तान के मुद्दे पर चुप रहें क्योंकि यह एक संवेदनशील मामला है।
पाकिस्तानी अखबार द फ्रंटियर पोस्ट ने इमरान खान के हवाले से कहा कि सभी मंत्रियों को मीडिया सहित किसी भी मंच पर इस विषय पर बात नहीं करनी चाहिए। केवल संबंधित मंत्री ही अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति पर बयान देने के लिए अधिकृत हैं। इमरान खान ने खुशी व्यक्त की कि अफगानिस्तान में तालिबान के अधिग्रहण के बाद आम लोगों की जान नहीं गई है। साथ ही कहा कि अफगानों को अपना भविष्य खुद तय करना होगा।
बुधवार को इमरान खान ने अफगान प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से मुलाकात की और कहा कि अफगानिस्तान में शांति में उतनी दिलचस्पी किसी और देश को नहीं है, जितनी पाकिस्तान को है।
बता दें कि अशरफ गनी की सरकार ने अफगानिस्तान के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करने और देश में अशांति पैदा करने व तालिबान का समर्थन करने के लिए कई बार इस्लामाबाद को दोषी ठहराया था। दुनियाभर के अफगानों ने भी अफगानिस्तान में अपने छद्म युद्ध के लिए विरोध प्रदर्शन और इंटरनेट मीडिया अभियानों के माध्यम से पाकिस्तान को प्रतिबंधित करने का आह्वान किया है।
पाक के विदेश मंत्री ने तालिबान का किया गुणगान
गौरतलब है कि अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के साथ ही पाकिस्तान खुलकर तालिबान के समर्थन में आ गया है। पिछले दिनों ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तालिबान का गुणगान किया। कुरैशी ने कहा कि तालिबान के खिलाफ गनी सरकार का प्रोपोगेंडा गलत साबित हुआ है, क्योंकि तालिबान ने सभी विरोधियों को माफ करने और लड़कियों को पढ़ाई लिखाई जारी रखने की छूट दी है।