अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता देने के मुद्दे पर पाकिस्तान ने कही ये बात
पाकिस्तान के सूचना एवं प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने मंगलवार को कहा कि उनका देश अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता देने का एकतरफा फैसला नहीं लेगा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान के सूचना एवं प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने मंगलवार को कहा कि उनका देश अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता देने का एकतरफा फैसला नहीं लेगा. फवाद चौधरी ने अफगानिस्तान से अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने की पाकिस्तान की कोशिशों के बारे में जानकारी देने के लिए बुलाए गए एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "पाकिस्तान की नीति पूरी तरह से स्पष्ट रही है और वह एकतरफा निर्णय नहीं लेगा. नये अफगान शासन को मान्यता देने के निर्णय से पहले अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय दृष्टिकोण पर भी विचार किया जाएगा."
तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा कर लिया था. इसके दो सप्ताह बाद 31 अगस्त को अमेरिका ने अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लिया. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़कर संयुक्त अरब अमीरात में शरण लेनी पड़ी. सूचना मंत्री ने कहा, ''पाकिस्तान ने लोगों को सुरक्षित वहां से निकालने की प्रक्रिया में काफी अहम भूमिका निभाई है. हम अफगानिस्तान से विदेशियों को सुरक्षित निकालने के लिए अधिकतम सहयोग दे रहे हैं और अब तक 10,302 विदेशियों को निकालने में मदद कर चुके हैं." उन्होंने कहा, "यह एक प्रक्रिया है और हमें इंतजार करना चाहिए. नये अफगान अधिकारियों ने एक स्पष्ट रुख अपनाया है और हमें उम्मीद है कि वे किसी भी देश के खिलाफ अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल नहीं होने देंगे."
वैश्विक समुदाय अफगानिस्तान से अलग न हो, अन्यथा गंभीर परिणाम होंगे- कुरैशी
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मंगलवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान से अलग नहीं होना चाहिए क्योंकि अतीत की गलतियों को बार-बार दोहराने तथा युद्धग्रस्त देश की अर्थव्यवस्था तबाह होने के गंभीर परिणाम होंगे. द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय स्थिति पर चर्चा करने के लिए दो दिन की पाकिस्तान यात्रा पर पहुंचे जर्मनी के विदेश मंत्री हीको मास के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कुरैशी ने कहा कि अफगानिस्तान के इतिहास में यह निर्णायक मोड़ है.
कुरैशी ने कहा, ''अंतरराष्ट्रीय समुदाय को साथ देना चाहिए. मानवीय सहायता दी जानी चाहिए. अफगानिस्तान में अर्थव्यवस्था को तबाह न होने दिया जाए.'' उन्होंने कहा कि अतीत की गलतियों को बार-बार दोहराना और अफगानिस्तान को अलग छोड़ना कोई विकल्प नहीं है तथा इसके ''गंभीर परिणाम'' होंगे. कुरैशी ने कहा कि अफगानिस्तान में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सहयोग आवश्यक है और जर्मनी के विदेश मंत्री स्थिति को बेहतर ढंग से समझेंगे.