तीसरे देश में राजनीतिक कार्यालय खोलने की TTP की मांग पाक सरकार ने खारिज कर दी
पारंपरिक जिरगा का इस्तेमाल यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाएगा कि वे फिर से हथियार न उठाएं।
प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने पाक सरकार से उसे किसी तीसरे देश में राजनीतिक कार्यालय खोलने की अनुमति देने को कहा है। टीटीपी की इस मांग को अस्वीकार्य बताते हुए पाक सरकार ने खारिज कर दिया है। शांति समझौते के लिए बातचीत के दौरान पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ बैठकों की एक श्रृंखला में टीटीपी ने तीन मांगें रखीं, जिनमें तीसरे देश में एक राजनीतिक कार्यालय खोलने की अनुमति देना, खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के साथ संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों के विलय को पलटना और पाकिस्तान में इस्लामी व्यवस्था की शुरूआत करना शामिल है।
अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने कहा, पाकिस्तानी अधिकारियों ने टीटीपी को सीधे और तालिबान वार्ताकारों के माध्यम से बताया कि ये मांगें स्वीकार्य नहीं हैं। टीटीपी को विशेष रूप से स्पष्ट शब्दों में बताया गया था कि उनकी व्याख्या के आधार पर एक इस्लामी प्रणाली शुरू करने का कोई सवाल ही नहीं है। साथ ही आतंकवादी समूह को बताया गया कि पाकिस्तान एक इस्लामी गणराज्य है और देश का संविधान स्पष्ट रूप से कहता है कि पाकिस्तान में सभी कानूनों को इस्लाम की शिक्षाओं के अनुरूप होना चाहिए। बदले में पाकिस्तानी अधिकारियों ने टीटीपी के सामने तीन मांगें रखीं। इनमें देश के आदेश को स्वीकार करना, हथियार डालना और उनके द्वारा किए गए आतंकवादी कृत्यों के लिए सार्वजनिक माफी जारी करना शामिल है। अगर इन मांगों को पूरा किया जाता है, तो अधिकारियों ने कहा कि वे उन्हें माफी देने पर विचार करेंगे। इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने घोषणा की थी कि सरकार और टीटीपी के बीच पूर्ण युद्धविराम हो गया है।
टीटीपी को पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है, जो अफगान-पाकिस्तान सीमा पर स्थित एक प्रतिबंधित आतंकवादी समूह है। इस समूह ने पाकिस्तान में कई बड़े आतंकी हमले किए हैं और कथित तौर पर पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों की साजिश रचने के लिए अफगान धरती का इस्तेमाल कर रहा है। पाक सरकार अब अफगानिस्तान के तालिबान के प्रभाव का इस्तेमाल टीटीपी के साथ शांति समझौता करने और हिंसा को रोकने की कोशिश के लिए कर रही है। पाक पीएम ने पिछले महीने एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया था कि पाकिस्तान सरकार अब तालिबान के प्रभाव का इस्तेमाल टीटीपी के साथ शांति समझौता करने और हिंसा रोकने की कोशिश करने के लिए कर रही है। इसे लेकर कई नेताओं और आतंकवाद का शिकार बने लोगों ने उनकी आलोचना भी की थी। गृह मंत्री शेख राशिद ने सरकार के इस कदम का बचाव करते हुए कहा था कि बातचीत अच्छे तालिबान के लिए की जा रही है। अखबार ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा ब्रीफिंग के दौरान संसद को बताया गया कि टीटीपी के साथ अंतिम शांति समझौता सभी शर्तों के पूरा होने के बाद ही किया जाएगा और पारंपरिक जिरगा का इस्तेमाल यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाएगा कि वे फिर से हथियार न उठाएं।