पेजर विस्फोट: दुनिया के सबसे शक्तिशाली जासूस संगठन मोसाद ने दुनिया में मचाई खलबली, जानें अनसुने किस्से!

अबतक 11 लोगों की मौत हो चुकी है और 4000 लोग घायल हो चुके हैं.

Update: 2024-09-18 06:32 GMT
नई दिल्ली: पहले बीप... बीप की लंबी आवाज, फिर एक-एक कर फटने लगे पेजर. धमाकों का सिलसिला देर तक चलता रहा और जब ब्लास्ट बंद हुए तबतक लेबनान में लगभग 3000 पेजर फट चुके थे. लेटेस्ट जानकारी के अनुसार अबतक 11 लोगों की मौत हो चुकी है और 4000 लोग घायल हो चुके हैं. इन धमाकों ने न सिर्फ लेबनान और उसके पड़ोसी सीरिया में थरथरी पैदा कर दी है बल्कि दुनिया भी इस हमले से सन्न है.
साजिश की सुई एक बार फिर दुनिया के सबसे शक्तिशाली जासूस संगठन मोसाद (Mossad) की ओर गई है. रॉयटर्स, अल-जजीरा और न्यूयॉर्क टाइम्स जैसी मीडिया एजेंसियों का दावा है कि मोसाद ने ताइवान से लेबनान आ रहे 5000 पेजर की खेप को ही हैक कर डाला. रॉयटर्स ने लेबनान के सीनियर सुरक्षा एजेंसियों के हवाले से कहा है कि इस पेजर को "प्रोडक्शन लेवल" पर ही मोडिफाई कर दिया गया था.
रॉयटर्स ने लेबनानी अधिकारियों के हवाले से कहा है कि "मोसाद ने डिवाइस के अंदर एक बोर्ड लगाया है जिसमें विस्फोटक सामग्री है जो एक कोड सिग्नल प्राप्त कर सकता है. किसी भी माध्यम से इसका पता लगाना बहुत कठिन है. यहां तक ​​कि डिवाइस या स्कैनर का प्रयोग करने के बावजूद ये बोर्ड डिटेक्ट नहीं हो पाता है."
इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद अपनी सस्पेंस, थ्रिलर और अति गुप्त ऑपरेशन के लिए दुनिया में अपना अलग रिकॉर्ड रखती है. हम आपको बताते हैं कि इजरायल की इंटेलिजेंस ऑपरेशन की वो कहानियां जिसने वर्ल्ड पॉलिटिक्स की डायनामिक ही बदल कर रख दी है. अन्यथा ईरान आज परमाणु क्षमता से संपन्न राष्ट्र होता. सीरिया ने भी अपना रिएक्टर बना लिया था. लेकिन कहा जाता है कि जहां जहां मोसाद की नजर गई, वहां सब कुछ नेस्तानाबूद हो गया.
जासूसी (Espionage), तोड़फोड़ (Sabotage) और गुप्त अभियानों (Covert operations) के कॉम्बिनेशन के माध्यम से मोसाद ने अपने विरोधियों की सैन्य और परमाणु महत्वाकांक्षाओं को प्रभावी ढंग से खत्म कर दिया है. मोसाद इसके लिए मुख्य रूप से चार तरह के तरीके अपनाता है. ये तरीके हैं-
तोड़फोड़ (Sabotage): दुश्मन के बुनियादी ढांचे को तहस-नहस करना
हत्याएं (Assassinations):दुश्मन के प्रमुख चेहरों को निशाना बनाना
अपहरण (Kidnappings): हाई टारगेट वाले लक्ष्यों पर कब्ज़ा करना
घुसपैठ (Infiltration): शत्रु संगठनों के भीतर खुफिया जानकारी इकट्ठा करना
Operation Stuxnet: इजरायल परमाणु शक्ति से लैस ईरान को अपने वजूद के लिए खतरा मानता है. जबकि ईरान इस परमाणु बम को हासिल अपने दायरे से बाहर जाकर भी काम करने के लिए तैयार दिखता है. बात जनवरी 2010 की है. International Atomic Energy Agency के निरीक्षक ईरान में नतांज यूरेनियम संवर्धन प्लान का दौरा कर रहे थे. उन्होंने देखा कि यूरेनियम गैस को एनरिच करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे सेंट्रीफ्यूज लगातार फेल हो रहे थे. इसका कारण पूरी तरह से रहस्यपूर्ण था. ईरानी वैज्ञानिकों को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था.
दावा किया गया कि है ये सारा प्लान मोसाद का था. दरअसल Stuxnet एक खतरनाक कम्प्यूटर वायरस था. इसे मोसाद और अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी ने मिलकर विकसित किया था. इस वायरस ने ईरान के सेंट्रीफ्यूज को फिजिकल डैमेज पहुंचाया. इस वायरस की वजह से सेंट्रीफ्यूज इतनी तेजी से घूमे कि वे नाकाम हो गए. खास बात ये रही कि ये सेंट्रीफ्यूज दिखाने के लिए तो ईरानी वैज्ञानिकों को सामान्य डेटा रिपोर्ट भेज रहे थे, इस वजह से गड़बड़ी कैसे हो रही है इसका पता नहीं चल पा रहा था. इस वायरस ने ईरान की परमाणु महात्वाकांक्षा को काफी नुकसान पहुंचाया और उसका परमाणु कार्यक्रम अटक गया.
माना जाता है कि इस वायरस ने करीब 1,000 सेंट्रीफ्यूज को नुकसान पहुंचाया. सवाल यह है कि इजरायल इस वायरस को अत्यधिक सुरक्षा वाले ईरान के न्यूक्लियर प्लांट में मौजूद कम्प्यूटरों में प्लांट में कैसे सफल हुआ. दरअसल ये वही सवाल है जो मोसाद को मोसाद बनाता है और इसका जवाब उन लोगों के पास है जिनकी संख्या दुनिया में अंगुली पर गिनी जा सकती है.
Assassination of Iranian Nuclear Scientists: इजरायल ने ईरान को परमाणु बम हासिल करने से रोकने के लिए कई लेवल पर काम किया. इसमें परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या भी शामिल है. Mohsen Fakhrizadeh ईरान के चोटी के न्यूक्लियर साइंटिस्ट थे. ईरान समेत दुनिया के लोग तब भौचक्के रह गए थे. जब 2020 के आखिरी सालों में इस वैज्ञानिक की हत्या AI फीचर से लैस रिमोट मशीनगन से कर गई थी.
ईरान का दावा है कि इस वैज्ञानिक की हत्या के पीछे इजरायल और कुछ विद्रोही संगठन हैं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार Mohsen Fakhrizadeh की हत्या तब की गई थी जब पूर्वी तेहरान के अबसार्द इलाके में उनके कार को गोलियों से छलनी कर दिया गया था. इनकी हत्या पर ईरान के तत्कालीन नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के चीफ एडमिरल शखानी ने कहा था कि ये एक रिमोट अटैक था जिसके लिए खास तरीके अपनाए गए थे.
एडमिरल शखानी के अनुसार ये एक बहुत जटिल मिशन था इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया गया था. उन्होंने कहा कि था कि वारदात के वक्त घटनास्थल पर 'कोई मौजूद नहीं' था.
ईरानी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार इस हमले के लिए रिमोट से चलने वाले मशीन गन का इस्तेमाल किया गया था या फिर वैसे हथियार प्रयोग में लाए गए जिसे सैटेलाइट से कंट्रोल किया जा रहा था.
Operation Plumbat: ऑपरेशन प्लमबैट एक गुप्त ऑपरेशन था जिसे इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने 1968 में चलाया था. इस ऑपरेशन का मकसद (येलोकेक यूरेनियम) संवर्धित यूरेनियम को मिस्र के हाथों में जाने से रोकना था. इस ऑपरेशन के दौरान, मोसाद के एजेंट्स ने नॉर्वे में एक जहाज "स्काई" को हाईजैक करने और यूरेनियम को कैप्चर करने की योजना बनाई थी.
मोसाद के एजेंट्स ने जहाज के चालक दल के सदस्यों को धोखा दिया और उन्हें जहाज को इजरायल के तेल अवीव बंदरगाह पर ले जाने के लिए मजबूर किया.
नवंबर 1968 में जब येलोकेक यूरेनियम को ले जाया जा रहा था तो बीच समंदर रात के अंधेरे में इजरायली एजेंटों ने इस जहाज को हाईजैक कर लिया और इसे इजरायल की ओर ले गए. यहां पर इस यूरेनियम को उतार लिया गया. इसके बाद इस ऑपरेशन को कवर अप करने के लिए नकली दस्तावेज देकर जहाज को फिर से समंदर में छोड़ दिया गया. ऑपरेशन प्लमबोट के परिणामस्वरूप, मिस्र की रॉकेट कार्यक्रम को बहुत नुकसान पहुंचा.
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