अफीम से होती है अफगानिस्तान में हजारों करोड़ रुपये की कमाई, तालिबान ने आखिर क्यों किया उसकी खेती को बैन? जानें पूरा मामला

अफगानिस्तान में तालिबान ने रविवार को अफीम की खेती पर बैन लगाने का ऐलान किया.

Update: 2022-04-07 03:54 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) ने रविवार को अफीम की खेती पर बैन (Taliban Ban Poppy Production) लगाने का ऐलान किया. यहां गौर करने वाली बात ये है कि अफगानिस्तान दुनिया का 90 फीसदी अफीम का अकेला प्रोडक्शन करता है. तालिबान द्वारा जारी आदेश में किसानों को चेतावनी दी गई कि अगर वे कटाई जारी रखेंगे तो उनकी फसल जला दी जाएगी और उन्हें कैद की सजा तक सुनाई जा सकती है. तालिबान द्वारा ये आदेश ऐसे समय पर दिया गया, जब किसानों ने उस लाल फूल की कटाई शुरू कर दी है जिससे हेरोइन बनाने में इस्तेमाल होने वाली अफीम मिलती है.

तालिबान ने अफगानिस्तान में 1990 के दशक में भी अफीम की खेती पर बैन लगा दिया था. दो सालों के भीतर पूरे देश में इस पर बैन लागू कर दिया गया. संयुक्त राष्ट्र ने भी अफगानिस्तान के ज्यादातर हिस्सों में अफीम की खेती पूरी तरह से बंद होने पुष्टि की थी. लेकिन, 2001 में अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत खत्म हुई. इसके बाद किसानों ने कथित तौर पर अपने गेहूं के खेतों की जुताई करते हुए वहां अफीम की फसल की बुवाई कर दी थी. अफगानिस्तान में अफीम की खेती किसानों और दिहाड़ी मजदूरों के लिए आय का मुख्य स्रोत है, जो इसके जरिये प्रति माह औसतन 300 डॉलर तक की कमाई कर लेते हैं.
अफीम की खेती पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया?
अफगानिस्तान पर तालिबान को नियंत्रण किए नौ महीने से अधिक का वक्त हो चुका है. ऐसे में तालिबान के ऊपर रूस, चीन और ईरान जैसे पड़ोसी मुल्कों की तरफ से अफीम की खेती पर बैन लगाने का भारी दबाव था. दरअसल, तालिबानी हुकूमत का मानना है कि अगर इन मुल्कों की बात को माना गया, तो ये उसकी सरकार को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलवाने में मदद करेंगे. हाल ही में रूस के अधिकारी और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अफगानिस्तान का दौरा किया था और तालिबान सरकार से बात की थी. बताया गया है कि चीन हेल्थकेयर और खनन जैसे क्षेत्रों में निवेश को तैयार हुआ है और इसने आर्थिक मदद का भी वादा किया है. वांग यी ने तालिबान से पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट के खिलाफ कार्रवाई करने को भी कहा है.
अफीम की खेती का अफगानिस्तान पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
पिछले साल नवंबर में जारी अपनी रिपोर्ट में, ड्रग्स एंड क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने पाया कि 2021 में अफीम की खेती में आठ फीसदी का इजाफा हुआ और ये पिछले साल के मुकाबले 6,800 टन हो गई. UNODC ने आगाह किया था कि वैश्विक बाजारों में अफगानिस्तान से लगभग 320 टन शुद्ध हेरोइन की तस्करी हो सकती है. देश की आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद किसानों ने अफीम की खेती की ओर रुख किया है, ताकि उन्हें गेहूं और अन्य खाद्यान्नों की पारंपरिक खेती के मुकाबले इससे अधिक पैसा मिल सके.
UNODC की रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में अफीम से होने वाली आय 2021 में 1.8 बिलियन डॉलर (लगभग 13 हजार करोड़ रुपये) से लेकर 2.7 बिलियन डॉलर (लगभग 20 हजार करोड़ रुपये) थी. वे अफगानिस्तान के बाहर अवैध ड्रग्स की आपूर्ति के जरिए बहुत अधिक मुनाफा कमाते हैं. अफीम की खेती पर प्रतिबंध लगाने के बाद उप प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनफी ने किसानों के लिए वैकल्पिक व्यवसाय खोजने में मदद करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सहायता का अनुरोध किया है. ऐसे में अब किसानों के लिए अफीम से होने वाली आय बंद हो गई है, जो उनकी आर्थिक हालत को और खराब देगी.
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