अब बिना स्‍पेसशिप के लाखों किलोमीटर दूर तारों का सफर करेगा इंसान, जानिए कैसे?

लाखों किलोमीटर दूर तारों का सफर करेगा इंसान

Update: 2022-06-01 15:20 GMT
अगले 5 अरब साल में क्या होगा, जब सूर्य एक लाल 'दानव' में बदल जाएगा यानी बहुत बड़ा और गर्म हो जाएगा व पृथ्वी को खा जाएगा? वैज्ञानिक लंबे समय से इस सवाल से जूझ रहे हैं। क्या यह घटना ब्रह्मांड से मानव जाति के खत्‍म होने की वजह बनेगी? क्या इस विनाश से प्रजातियों को बचाने का कोई तरीका है? इसका जवाब है एक ऐसे ग्रह की इंटरस्टेलर यात्रा जो मनुष्यों के लिए अगला घर हो सकता है। यह मानव जाति को बचाने का काल्पनिक तरीका है, लेकिन क्‍या ऐसा हकीकत में मुमकिन है? अगर हमें ऐसा कोई ग्रह मिल भी जाए, तो अंतरिक्ष यान से वहां तक पहुंचने में सैकड़ों और हजारों साल लग सकते हैं।
इसका मतलब है कि इंसान को पृथ्‍वी से बाहर अपना नया घर खोजने में कई पीढ़ियां लग जाएंगी। हालांकि एक रिसर्च पेपर से पता चलता है कि अंतरिक्ष यान के बिना भी इंटरस्टेलर यात्रा हो सकती है। अंतरतारकीय अंतरिक्ष उड़ान (interstellar travel) दो तारों या प्‍लेनेटरी सिस्‍टम के बीच अंतरिक्ष उड़ान द्वारा की गई यात्रा को कहते हैं। फि‍लहाल यह पूरी तरह काल्पनिक है।
ह्यूस्टन कम्युनिटी कॉलेज में फ‍िजिक्‍स और एस्‍ट्रोनॉमी की प्रोफेसर इरिना रोमानोव्सकाया ने रिसर्च पेपर में लिखा है कि एलियंस सभ्‍यताएं इसमें हमारी मदद कर सकती हैं। रोमानोव्सकाया ने कहा कि भविष्‍य में फ्री-फ्लोटिंग ग्रहों का इस्‍तेमाल करके माइग्रेशन किया जा सकता है। रिसर्च पेपर में जिन ग्रहों का जिक्र किया गया है, वह लगातार सर्फेस ग्रैविटी और बड़ी मात्रा में स्‍पेस और रिसोर्सेज देने में सक्षम हैं।
साल 2021 में रिसर्चर्स ने हमारी आकाशगंगा के एक क्षेत्र में ऐसे 70 से 170 ग्रहों की खोज की थी। 2020 में हुई एक स्‍टडी बताती है कि हमारी आकाशगंगा में लगभग 50 अरब ऐसे ग्रह हो सकते हैं। रिसर्च में चार परिदृश्‍य बताए गए हैं, जहां इन ग्रहों की मदद से इंटरस्‍टेलर यात्रा की जा सकती है। हालांकि इसमें यह भी लिखा गया है कि ऐसे ग्रह भविष्‍य के खतरों से बचने का स्‍थायी तरीका नहीं हो सकते।
पहला परिदृश्य एक ग्रह को लेकर है, जो परग्रही या एलियन सभ्यता के करीब से गुजर रहा है। दूसरा परिदृश्‍य कहता है कि ऐसे ग्रह के जरिए एक सिव‍िलाइज ग्रह तक जाने के लिए हम टेक्‍नॉलजी का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। हालांकि यह रिसर्च साफ तौर पर कहती है कि ऐसे ग्रह भविष्‍य में हमारा स्‍थायी ठिकाना नहीं हो सकते। वह सिर्फ लाइफबोट का काम करेंगे, जिनके जरिए हमें एक ऐसी जगह पर पहुंचना होगा, जो पृथ्‍वी का विकल्‍प हो और सूर्य के विनाश से इंसान के वजूद को बचा सके।
हालांकि यह 5 अरब साल आगे की बात है। मुमकिन है कि साइंस तब तक कुछ ऐसा तलाश ले, जो हमारे मुश्किल को और आसान बना दे। क्‍या पता हमें तब तक पृथ्‍वी का बेहतर विकल्‍प मिल जाए।
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