जेल से भागने के बाद फिर पकड़ा गया उत्तर कोरिया का शख्स, वापस नहीं जाना चाहते अपने देश
‘मानवता के खिलाफ अपराध’ के लिए जिम्मेदार है.
चीन में 40 दिनों तक पुलिस से बचकर भागने के बाद एक बार फिर उत्तर कोरिया के शख्स को पकड़ लिया गया है. 39 साल के इस शख्स को उसके चीनी नाम झू शियानजियान (Zhu Xianjian) के तौर पर जाना जाता है. झू चीन की एक जेल से भाग गए थे. उन्हें रविवार को पकड़ा गया है. झू का गुनाह केवल इतना है कि वह साल 2013 में उत्तर कोरिया से भागकर चीन आ गए थे. फिर उन्हें जीलिन शहर की जेल में कैद किया गया. उन्हें दोबारा पकड़ने के मकसद से उनकी जानकारी देने वाले के लिए चीन की पुलिस ने बड़ा ईनाम भी रखा. इसके साथ ही चीन की तरफ से एक वीडियो फुटेज भी जारी किया गया.
झू 19 अक्टूबर की रात को जेल की शेड को लांघकर भागे थे. उन्हें जेल के गार्ड्स ने पकड़ने की कोशिश की लेकिन नहीं पकड़ सके. चीन के सोशल मीडिया एप पर भी झू को पकड़ने के लिए अभियान चलाया गया. उनकी जानकारी देने वाले को 700,000 युआन (करीब 82 लाख रुपये) देने की घोषणा की गई (North Koreans in China). झू के पकड़े जाने के बाद की तस्वीरें भी चीन में टेलीविजन पर दिखाई गईं. जिनमें झू बेहद कमजोर दिख रहे हैं. उनक हाथों में हथकड़ी लगी रही और वह जमीन पर लेटे हैं. झू के उत्तर कोरिया से भागकर आने के बाद उन्हें चीन में अवैध प्रवेश, चोरी और डकैती के आरोप में कैद किया गया था.
2013 में नदी पार कर चीन आए झू
कोर्ट के रिकॉर्ड से पता चलता है कि झू ने 2013 में उत्तर कोरिया और चीन के बीच की नदी पार की थी और पास के एक गांव में कई घरों से पैसे, मोबाइल फोन और कपड़े चुरा लिए. उनपर एक बुजुर्ग महिला को चाकू मारने का आरोप लगाया गया. फिर झू ने पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने से पहले एक टैक्सी में भागने की कोशिश भी की. झू ने अपनी नौ साल की जिंदगी जेल की सजा काट ली है और रिहा होने को दो साल बचे हैं. जिसके बाद उन्हें उत्तर कोरिया वापस भेज दिया जाएगा (North Korea Reffugees). कुछ लोगों ने अनुमान लगाया था कि वह वापस भेजे जाने से बचने के लिए जेल से भागे थे.
नियमों का उल्लंघन कर रहा चीन
चीन शरणार्थियों पर 1951 के संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का पक्षकार होने के बावजूद उत्तर कोरिया से आने वाले लोगों को जबरन स्वदेश लौटा देता है. इससे वह उस नियम का उल्लंघन कर रहा है, जिसके तहत उन शरणार्थियों को वापस नहीं भेजा जा सकता, जिन्हें अपने जीवन या यातना दिए जाने का खतरा होता है (China Treatment With Refugees). हालांकि चीन इन लोगों को शरणार्थी नहीं बल्कि अवैध प्रवासी मानता है और इनके साथ अपराधियों की तरह बर्ताव करता है. 2014 में मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र जांच आयोग ने कहा था कि उत्तर कोरिया 'व्यवस्थित और व्यापक मानवाधिकार उल्लंघन' और 'मानवता के खिलाफ अपराध' के लिए जिम्मेदार है.