कोरोना महामारी को लेकर नया प्रयोग: अब एक्स-रे से पता चलेगा कोरोना है या नहीं, वैज्ञानिकों ने इसे 98 फीसदी तक सटीक माना
स्कॉटलैंड में वैज्ञानिकों के एक समूह ने कोरोना महामारी को लेकर नया प्रयोग किया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। स्कॉटलैंड में वैज्ञानिकों के एक समूह ने कोरोना महामारी को लेकर नया प्रयोग किया है। इसके तहत अब एक्स-रे(X-rays) का उपयोग करके पता लगाया जा सकेगा की मरीज को कोरोना है या नहीं। यहां तक कि वैज्ञानिकों ने इसे 98 फीसदी तक सटीक माना है। परीक्षण किसी व्यक्ति के अंदर वायरस की उपस्थिति का पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग करता है।
पांच से 10 मिनट के अंदर दे देता है परिणाम
शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि यह आरटी-पीसीआर(RT-PCR) परीक्षण से तेज होगा और इसका परिणाम 5 से 10 मिनट के अंदर आ जाएगा। बता दें कि आरटी-पीसीआर की रिपोर्ट आने में एक घंटा से भी अधिक लग जाता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि लंबे समय से एक त्वरित और विश्वसनीय उपकरण की आवश्यकता थी जो कि कोविड -19 का पता लगा सके। इतना ही नहीं एक्स-रे के माध्यम से ओमिक्रॉन वैरिएंट का भी जल्द से जल्द पता लग जाएगा।
परीक्षण कैसे काम करता है?
यूडब्ल्यूएस के शोधकर्ताओं के अनुसार नई तकनीक स्कैन की तुलना में 3,000 से अधिक छवियों के डाटाबेस के लिए एक्स-रे तकनीक का उपयोग करती है, जो कोरोना के रोगियों, स्वस्थ व्यक्तियों और वायरल निमोनिया से संबंधित हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) प्रक्रिया का उपयोग
इस तकनीक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) प्रक्रिया की मदद ली जाती है जो कि दृश्य आंकलन का विश्लेषण करने और निदान करने के लिए एक एल्गोरिथ्म का उपयोग करता है। यूडब्ल्यूएस के वैज्ञानिकों ने कहा कि एक व्यापक परीक्षण चरण के दौरान, तकनीक 98 फीसदी से अधिक सटीक साबित हुई।
नई परीक्षण तकनीक जीवन रक्षक साबित हो सकता है
प्रोफेसर रमजान ने कहा कि कई देश सीमित निदान उपकरणों के कारण बड़ी संख्या में कोविड परीक्षण करने में असमर्थ हैं। लेकिन हमारे इस शोध के माध्यम से वायरस का शीघ्रता से पता लगाया जा सकता है। प्रोफेसर ने कहा कि वायरस के गंभीर मामलों का निदान करते समय यह महत्वपूर्ण और संभावित रूप से जीवन रक्षक साबित हो सकता है, यह निर्धारित करने में मदद करता है कि किस उपचार की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि संक्रमण के शुरुआती चरणों के दौरान एक्स-रे में कोविड-19 लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हैं, इसलिए यह पीसीआर परीक्षणों को पूरी तरह से बदल नहीं सकता है।