नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने शुरू की राष्ट्रपति के संसद भंग करने को लेकर सुनवाई

संविधान विशेषज्ञों ने ओली और भंडारी की संविधान को रौंदने में मिलीभगत की आलोचना की है।

Update: 2021-05-27 11:14 GMT

नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को प्रतिनिधि सभा को असंवैधानिक तरीके से भंग करने और प्रधानमंत्री पद के लिए राष्ट्रपति द्वारा विपक्ष के नेता शेर बहादुर देउबा के दावे को खारिज करने के खिलाफ याचिकाओं पर प्रारंभिक सुनवाई शुरू की। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को सदन भंग करने को चुनौती देते हुए विपक्षी गठबंधन द्वारा एक सहित 30 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं।

बता दें कि राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने शनिवार को पांच महीने में दूसरी बार प्रतिनिधि सभा को भंग करने का आदेश जारी किया। उन्होंने अल्पमत की सरकार का नेतृत्व कर रहे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सलाह पर नवंबर में मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की।
उन्होंने प्रधानमंत्री ओली और विपक्षी गठबंधन के सरकार बनाने के दावों के दावों को खारिज कर दिया। ओली और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने अलग-अलग प्रधानमंत्री से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा किया था। नेपाल के विपक्षी गठबंधन ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर प्रतिनिधि सभा की बहाली और देउबा को प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त करने की मांग की। अन्य लोगों ने भी प्रतिनिधि सभा को भंग करने के खिलाफ याचिका दायर की थी।
मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र सुमशेर राणा की एकल पीठ सदन को भंग करने के खिलाफ अंतरिम आदेश की मांग करने वाली 19 याचिकाओं पर प्रारंभिक सुनवाई कर रही है। संवैधानिक पीठ में दायर बाकी 11 याचिकाओं पर सुनवाई शुक्रवार से शुरू होगी। संवैधानिक पीठ का नेतृत्व मुख्य न्यायाधीश राणा कर रहे हैं।
इससे पहले 20 दिसंबर को राष्ट्रपति ने संसद को भंग कर दिया था और 30 अप्रैल और 10 मई को मध्यावधि चुनाव कराने का ऐलान किया था। हालांकि, दो महीने बाद 23 फरवरी को राणा के नेतृत्व वाली संवैधानिक पीठ ने फैसले को पलट दिया और सदन को बहाल कर दिया। संविधान विशेषज्ञों ने ओली और भंडारी की संविधान को रौंदने में मिलीभगत की आलोचना की है।


Tags:    

Similar News

-->