डब्ल्यूएचओ सदस्य देशों के बीच वैश्विक महामारी समझौते पर वार्ता की सहमति
विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देशों ने बुधवार को वैश्विक महामारी पर समझौते की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 194 सदस्य देशों ने बुधवार को वैश्विक महामारी (Global Pandemic) पर समझौते की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया। WHO के संचालन मंडल के विशेष सत्र में समझौते के प्रारूप पर बातचीत करने की सहमति बन गई है।
विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) के इस विशेष सत्र में अंतर सरकारी वार्ता निकाय के गठन पर सहमति बनी। इस निकाय की बैठक अगले साल मार्च में होगी जो अंतरराष्ट्रीय समझौते पर बातचीत की शुरुआत करेगी और उसका एक प्रारूप तैयार करेगी। इस समझौते का मकसद भविष्य की महामारियों के लिए अधिक सुसंगत और न्यायसंगत प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना है।
हालांकि, अमेरिका और कुछ अन्य देशों ने एक कमजोर व्यवस्था पर जोर दिया है, जिसमें सदस्य देशों के लिए कानूनी दायित्वों का प्रविधान नहीं हो। इस तरह के समझौते की पुरजोर तरीके से वकालत करने वाले डब्ल्यूएचओ महानिदेशक टेड्रोस अधनम घेब्रेयेसस ने इस निर्णय को बहुत बड़ा कदम बताया है। वर्ष 2024 तक इस समझौते को मूर्तरूप देने की योजना है।
WHO ने कोरोना वायरस के नए स्वरूप वैरिएंट ओमिक्रोन को लेकर बढ़ती चिंता के बीच भविष्य की महामारियों की रोकथाम और इसके खिलाफ लड़ाई में मदद करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौते पर जोर दिया था। संगठन के के महानिदेशक टेड्रोस अदहनोम गेब्रेयसस ने कहा था कि इस बारे में कई तरह की अनिश्चितता बनी हुई है कि बेहद तेजी से उत्परिवर्तन से गुजर रहा ओमिक्रोन स्वरूप कितना संक्रामक और गंभीर हो सकता है।
टेड्रोस विश्व स्वास्थ्य सभा में संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी के सदस्य राष्ट्रों के ऑनलाइन विशेष सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस बैठक का उद्देश्य भविष्य की महामारियों की रोकथाम और इससे निपटने की दिशा में एक वैश्विक कार्य योजना तैयार करना है।
WHO प्रमुख ने कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते का आह्वान करते हुए कहा, 'वायरस का नया वैरिएंट ओमिक्रोन इस बात को रेखांकित करता है कि हमारी स्थिति कितनी जोखिम भरी और अनिश्चित है। वास्तव में, ओमिक्रोन दर्शाता है कि क्यों दुनिया को महामारी पर एक नए समझौते की आवश्यकता है।'