नासा का जेम्स वेब टेलीस्कोप लगा सकता है आर्टिफिशियल लाइट का पता, प्रॉक्सिमा B ग्रह को लेकर फिर जगी उम्मीद
इसे लेकर हार्वर्ड के एस्ट्रोनॉमर आवी लियोब सहित कई अन्य एस्ट्रोनॉमर्स की टीम ने एक अध्ययन किया है
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के नए और विशाल जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) को लेकर एक बेहद अच्छी खबर आई है. एस्ट्रोनॉमर्स का कहना है कि हो सकता है टेलीस्कोप धरती जैसे सबसे करीबी ग्रह Proxima B पर आर्टिफिशियल लाइट के प्रमाण का पता लगा सकता है.
इसे लेकर हार्वर्ड के एस्ट्रोनॉमर आवी लियोब सहित कई अन्य एस्ट्रोनॉमर्स की टीम ने एक अध्ययन किया है. अध्ययन में पता चला है कि ये ऑप्टिकल टेलीस्कोप प्रॉक्सिमा बी पर एलईडी लाइट (LED Light) के साक्ष्य को खोज सकता है. प्रॉक्सिमा बी धरती से महज 4.2 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है. जिसकी खोज साल 2016 में हुई थी और इसे एक तरह का चट्टानी सतह वाला ग्रह माना जाता है, जिसका आकार धरती से बड़ा है.
कुछ वैज्ञानिकों का तो ये भी कहना है कि यहां पानी मौजूद है. ये ग्रह रेड ड्वार्फ (Red Dwarf) सितारे Proxima Centauri का चक्कर काटता है. जैसे चंद्रमा का प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है, वैसे ही प्रॉक्सिमा पर भी सितारे का प्रभाव पड़ता है. जिसके कारण यहां का एक हिस्सा हमेशा रोशनी की तरफ रहता है और दूसरे अंधेरे में रहता है.
अकसर विवादों में रहने वाले एस्ट्रोनॉमर लियोब (Avi Loeb) का मानना है कि हो सकता है यहां किसी सभ्यता ने शीशे लगाए हों या फिर अपने शहरों को रोशन करने के लिए एलईडी जैसी चमकने वाले लाइट लगाई हों. उन्होंने कहा कि जेम्स वेब टेलीस्कोप के इन्फ्रारेड उपकरण के इस्तेमाल, ग्रह और उसके पास के सितारे से एलईडी प्रकाश तरंगों के संकेतों से वह उस आर्टिफिशियल लाइट के बारे में पता लगा सकते हैं.
हालांकि अगर रोशनी मौजूद हुई तो ही ये संभव हो पाएगा. अभी तक वैज्ञानिकों को अंदेशा है कि यहां ऐसी रोशनी मौजूद है. प्रोफेसर लियोब दशकों से एलियंस की मौजूदगी और उन्हें ढूंढने के तरीकों पर सुझाव देते आ रहे हैं. प्रॉक्सिमा बी (Proxima B) से पहले भी कुछ रोडियो सिग्नल डिकेट्स किए गए थे, जिन्हें बाद में प्राकृतिक स्रोतों से उत्पन्न बताया गया था.
ये टेलीस्कोप इस साल 31 अक्टूबर को लॉन्च होगा (Proxima B LED Light). टीम प्रॉक्सिमा बी ग्रह और इसके सितारे के कम्पयूटिंग लाइट कर्व्स की मदद से यहां के अंधेरे वाले हिस्से में ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वहां आर्टिफिशियल लाइट है या नहीं. अब देखना ये होगा कि वैज्ञानिकों का ये अंदाजा कितना सही निकलता है.