डिमोर्फोस ऐस्टरॉइड से टकराया नासा का डार्ट मिशन, वीडियो शेयर

11 घंटे 55 मिनट का समय लगता था। अगर मिशन सफल हुआ है तो इस समय में कुछ मिनट की कमी आ सकती है।

Update: 2022-09-27 08:37 GMT

वॉशिंगटन : अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का डार्ट मिशन भारतीय समयानुसार तड़के 4:45 पर ऐस्टरॉइड से टकरा गया जिसमें स्पेसक्राफ्ट खुद भी तबाह हो गया। यह टक्कर नासा के एक परीक्षण का हिस्सा थी जिसमें यह देखा जाना था कि क्या ऐसी अंतरिक्ष चट्टानों को, जो पृथ्वी के लिए खतरा बन सकती हैं, सुरक्षित तरीके से अपने पथ से विचलित किया जा सकता है। डार्ट डिमोर्फोस नामक एक ऐस्टरॉइड से टकराया जिसकी चौड़ाई 160 मीटर है। डार्ट का कैमरा ऐस्टरॉइड के साथ टक्कर तक प्रति सेकेंड एक तस्वीर धरती पर भेज रहा था। टकराने के बाद स्पेसक्राफ्ट और उस पर लगा कैमरा दोनों नष्ट हो गए। शुरुआत अनुमान हैं कि यह टक्कर डिमोर्फोस के केंद्र से करीब 17 मीटर दूर हुई है। डिमोर्फोस धरती के लिए कोई खतरा नहीं था लेकिन इस मिशन की सफलता हमारा भविष्य सुरक्षित बना सकती है।




बीबीसी की खबर के अनुसार जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी अप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी (JHU-APL) में बैठे कंट्रोलर्स टक्कर से पहले डार्ट के कैमरे में डिमोर्फोस को देखकर खुशी से उछल पड़े। वैज्ञानिकों को मिशन की सफलता सुनिश्चित करने में कुछ हफ्ते लगेंगे क्योंकि अभी सिर्फ स्पेसक्राफ्ट सफलतापूर्वक टकराया है। लेकिन स्पेस एजेंसी में प्लैनेटरी साइंस की डायरेक्टर डॉ लोरी ग्लेज को लगता है कि एक बड़ी उपलब्धि हासिल की जा चुकी है। उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'हम मानव जाति के एक नए युग की शुरुआत कर रहे हैं, एक ऐसा युग जिसमें हम संभावित रूप से खतरनाक ऐस्टरॉइड टक्कर से खुद को बचाने की क्षमता रखते हैं, हमारे पास पहले कभी यह क्षमता नहीं थी।'


मिशन की सफलता का पता लगना अभी बाकी
वहीं JHU-APL मिशन सिस्टम इंजीनियर डॉ ऐलेना एडम्स ने कहा कि धरतीवासी अब आराम से सो सकते हैं क्योंकि अब उनके पास एक बेहतर प्लैनेटरी डिफेंस सॉल्यूशन है। डिमोर्फोस एक बड़े ऐस्टरॉइड डिडिमोस का चक्कर लगाता है। शोधकर्ता डिडिमोस के चारों और डिमोर्फोस की कक्षा में बदलाव का अध्ययन करके मिशन की सफलता का पता लगाएंगे। धरती पर मौजूद टेलिस्कोप दोनों अंतरिक्ष चट्टानों को सटीक तरीके से मापेंगे। इस टक्कर से पहले डिमोर्फोस को 780 मीटर चौड़े डिडिमोस का चक्कर लगाने में 11 घंटे 55 मिनट का समय लगता था। अगर मिशन सफल हुआ है तो इस समय में कुछ मिनट की कमी आ सकती है।


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