म्यांमार: तख्तापलट के बाद से हिरासत में ऑस्ट्रेलियाई नागरिक, सरकार ने तुरंत रिहा करने को कहा

म्यांमार में तख्तापलट

Update: 2021-02-08 11:59 GMT

Australian Government asks Myanmar to release its detained citizen: म्यांमार में तख्तापलट करने के साथ ही वहां की सेना ने कई वरिष्ठ नेताओं और उनसे जुड़े लोगों को हिरासत में ले लिया है. इसके साथ ही देश में भारी विरोध प्रदर्शन के बीच लोगों की आवाज दबाने की हर संभव कोशिश की जा रही है. नेताओं को हिरासत में लिए जाने के बाद आंग सान सू की सरकार के ऑस्ट्रेलियाई सलाहकार (Myanmar Australian arrested) को भी हिरासत में ले लिया गया था. इसे लेकर ऑस्ट्रेलिया की ओर से प्रतिक्रिया आई है. उसने म्यांमार से कहा है कि उसके नागरिक को रिहा किया जाए. इस बात की जानकारी एक अधिकारी ने दी है.


आर्थिक नीतियों के सलाहकार सॉन टर्नेल ने सोशल मीडिया के जरिए अपने दोस्तों को बताया था कि उन्हें हिरासत में लिया गया है. हाल के दिनों में उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है. विदेश मंत्री (Australian Government) मरीस पायने ने कहा, 'हमने ऑस्ट्रेलियाई नागरिक प्रोफसर सॉन टर्नेल को तुरंत रिहा करने की मांग की है.' उन्होंने कहा कि म्यांमार में ऑस्ट्रेलियाई दूतावास 'इस मुश्किल वक्त में टर्नेल को हर संभव मदद कर रहा है.'
टर्नेल की दोस्त ने बताई हिरासत की वजह
टर्नेल की दोस्त और सहकर्मी विशेषज्ञ मोनिक स्किडमोर का कहना है कि वह मानती हैं कि सत्ता से हटाई गईं सू की (Aung San Suu Kyi) और नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी से निकट संबंधों के कारण प्रोफेसर को हिरासत में लिया गया है. स्किडमोर ने ऑस्ट्रेलियन ब्रॉउकास्टिंग कोर को बताया, 'मुझे लगता है कि (सू की के) करीबी होने के कारण उन्हें हिरासत में लिया गया है.' अब ऑस्ट्रेलिया को टर्नेल देश वापस ले जाने की पूरी कोशिश कर रहा है.

होटल में रहते थे टर्नेल
टर्नेल को ऑस्ट्रेलिया से म्यांमार आए एक महीने से भी कम वक्त हुआ है और वह यहां एक होटल में रह रहे थे. म्यांमार में तख्तापलट को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations) सहित दुनियाभर के देशों ने चिंता जताई है. यहां आंग सान सू की की पार्टी ने नवंबर में हुए चुनाव में भारी मतों से जीत दर्ज की थी. बीते साल नवंबर में होने वाले चुनाव खुलेतौर पर होने वाले दूसरे ऐसे चुनाव थे. इससे पहले 2015 में चुनाव हुए थे. ये देश 49 साल तक सैन्य शासन के अधीन रहा है. 2011 में यहां सैन्य शासन की समाप्ती हुई थी. देशभर में तख्तापलट (Myanmar coup news) के बाद से भारी विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं.


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