मुल्ला अब्दुल गनी बरादर लौटा अफगानिस्तान, तालिबान के नेताओं से चर्चा के लिए गया था दोहा

अफगानिस्तान की सत्ता हथियाने वाले तालिबान का उपनेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर फिर काबुल लौट आया।

Update: 2021-08-17 18:10 GMT

अफगानिस्तान की सत्ता हथियाने वाले तालिबान का उपनेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर फिर काबुल लौट आया। वह कतर की राजधानी दोहा में संगठन के अन्य नेताओं के साथ चर्चा के लिए वहां गया था। मुल्ला बरादर अफगानिस्तान में 20 साल से चल रहे युद्ध का विजेता बनकर उभरा है। उसे तालिबान का हीरो माना जा रहा है। बरादर ही अफगानिस्तान का अगला राष्ट्रपति बन सकता है।

समाचार एजेंसी एएफपी ने तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद के हवाले से मंगलवार को यह खबर दी। मुल्ला अब्दुल गनी रविवार को दोहा से निकला था।

बरादर वर्तमान में दोहा स्थित तालिबान के राजनीतिक कार्यालय का भी प्रमुख है। तालिबान का सह-संस्थापक और मुल्ला उमर के सबसे भरोसेमंद कमांडरों में से एक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को 2010 में पाकिस्तान के कराची में गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन, डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश और तालिबान के साथ डील होने के बाद पाकिस्तान ने इसे 2018 में रिहा कर दिया था।
मुल्ला उमर का साला है बरादर
1968 में अफगानिस्तान के उरुजगान प्रांत में जन्मा बरादर शुरू से ही धार्मिक रूप से कट्टर था। वह तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का साला है। बरादर ने 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ाई लड़ी। 1992 में रूसी सेना को खदेड़ने के बाद अफगानिस्तान देश के प्रतिद्वंद्वी सरदारों के बीच गृहयुद्ध में घिर गया था। इसके बाद बरादर ने अपने पूर्व कमांडर और बहनोई मुल्ला उमर के साथ कंधार में एक मदरसा स्थापित किया था। इसके बाद मुल्ला उमर और मुल्ला बरादर ने तालिबान की स्थापना की थी। तालिबान शुरूआत में देश के धार्मिक शुद्धिकरण और एक इस्लामिक अमीरात के निर्माण के लिए समर्पित युवा इस्लामी विद्वानों के नेतृत्व में एक आंदोलन था। शुरूआत में तो सबकुछ शांतिपूर्वक चला, लेकिन बाद में इस गुट ने हथियार उठा लिया और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के शह पर यह हिंसक आंदोलन में बदल गया। 9/11 हमले के बाद अमेरिकी सैन्य कार्रवाई में मुल्ला उमर मारा जा चुका है।
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