इंडोनेशिया के आसेह में तट पर 100 से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिम मिले, लंबी समुद्री यात्रा के चलते दिखे भूखे और कमजोर

इंडोनेशिया के उत्तरी प्रांत आसेह के एक तट पर रविवार को 100 से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिम पाए गए, जो कई दिनों की समुद्री यात्रा की वजह से भूखे और कमजोर थे.

Update: 2022-03-07 02:47 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इंडोनेशिया (Indonesia) के उत्तरी प्रांत आसेह के एक तट पर रविवार को 100 से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिम (Rohingya Muslims) पाए गए, जो कई दिनों की समुद्री यात्रा (sea ​​journey) की वजह से भूखे और कमजोर थे. स्थानीय आदिवासी मछुआरा समुदाय के नेता बद्रुद्दीन यूनुस ने बताया कि समूह रविवार तड़के बिरुएन जिले के मछुआरों के गांव अल्यू बुया पासिस के पास जंगका तट पर पहुंचा. ग्रामीणों ने रोहिंग्या समुदाय के 114 लोगों को लकड़ी की नौका पर देखा और उन्हें तट तक लाने में मदद की तथा उनके आने की सूचना अधिकारियों को दी.

यूनुस ने बताया कि वो भूख और शरीर में पानी की कमी के कारण बहुत कमजोर दिख रहे थे, क्योंकि उन्होंने लंबी समुद्री यात्रा की है. उन्होंने बताया कि ये अभी साफ नहीं है कि समूह कहां से चला था और कहां जा रहा था, क्योंकि उनमें से कोई भी अंग्रेजी या माले भाषा नहीं बोलता है. यूनुस के मुताबिक समूह में 58 पुरुष, 21 महिलाएं और 35 बच्चे हैं, जिन्हें शरण दी गई है और ग्रामीणों, पुलिस और सेना ने उनकी मदद की है.
अगस्त 2017 से 7 लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमा से भाग गए
अगस्त 2017 से सात लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिम बौद्ध बहुल म्यांमा से भाग गए हैं और उन्होंने बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में शरण ली है. उस साल म्यांमा की सेना ने बागी समूह के हमले की प्रतिक्रिया में 'सफाई' अभियान शुरू किया था. म्यांमा के सुरक्षाबलों पर बड़े पैमाने पर बलात्कार और हत्याएं करने एवं हजारों घरों को जलाने के आरोप हैं.
पिछले महीने म्यांमा के सैन्य शासकों के वकीलों ने सोमवार को मांग की कि रोहिंग्या नरसंहार मामले को संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत में अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हुए खारिज कर दिया जाना चाहिए. पिछले साल देश की सत्ता पर सेना के कब्जे के बाद म्यांमा का प्रतिनिधित्व करने के बारे में सवालों के बीच अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में सार्वजनिक सुनवाई चल रही है. 'नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट' नाम के एक प्रतीकात्मक प्रशासन ने तर्क दिया था कि उसे अदालत में म्यांमा की ओर से प्रतिनिधित्व करना चाहिए, लेकिन इसके बजाए कानूनी टीम का नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय सहयोग मंत्री को को लाइंग ने किया था. इस 'गवर्नमेंट' में अन्य प्रतिनिधियों के अलावा वो निर्वाचित प्रतिनिधि भी शामिल थे, जिन्हें सैन्य शासकों ने सीट संभालने नहीं दिया था.
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