म्यांमार मे बढ़ती जा रही है सैन्य सरकार की कार्रवाई, रेलकर्मियों पर साधा निशाना
म्यांमार (Myanmar) में तख्तापलट का विरोध कर रहे लोगों पर सैन्य सरकार की कार्रवाई बढ़ती जा रही है.
म्यांमार (Myanmar) में तख्तापलट का विरोध कर रहे लोगों पर सैन्य सरकार की कार्रवाई बढ़ती जा रही है. बुधवार को सुरक्षाबलों ने छापेमारी कर रेलकर्मियों (Railway Workers) को निशाने पर लिया है. ये कर्मी बीते महीने सैन्य तख्तापलट (Army Coup) के खिलाफ धरने पर बैठे थे. पुलिस ने यांगून शहर के पास मिंगलार टौंग न्यूंत (Mingalar Taung Nyunt) इलाके को सील कर दिया है. यहां मा हलवा कोन ट्रेन स्टेशन (Ma Hlwa Kone Train Station) और रेलवे कर्मियों का घर है.
सोशल मीडिया पर इससे जुड़ी तस्वीरों और वीडियो में अधिकारी सड़कों को ब्लॉक करते दिख रहे हैं. कहा जा रहा है कि तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है लेकिन इसकी साफ तौर पर पुष्टि नहीं हुई है (Myanmar Protests Reason). इस छापेमारी से कुछ दिन पहले म्यांमार रेलवे वर्कर्स फेडरेशन सहित अन्य यूनियनों ने राष्ट्रव्यापी काम रोकने के लिए संयुक्त रूप से एक होने का अह्वान किया था. बयान में कहा गया था कि इस धरने के जरिए म्यांमार की अर्थव्यवस्था को बड़े स्तर पर प्रभावित करने की कोशिश की जाएगी. इस देश में एक फरवरी को तख्तापलट हुआ था, जिसके बाद से विरोध प्रदर्शन जारी हैं.
खुलेआम गोली चला रहे सुरक्षाबल
सेना ने तख्तापलट करते ही देश में आपातकाल लागू कर दिया था और आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi) सहित बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया था. आंग सान की सरकार ने बीते साल नवंबर में हुए चुनाव में जीत दर्ज की थी. लेकिन संसद का सत्र शुरू होने से कुछ घंटे पहले ही सेना ने तख्तापलट कर दिया. इस देश में करीब पांच दशक बाद लोकतंत्र आया था और लंबे समय से चल रहा सैन्य शासन समाप्त हुआ था. अब लोगों को चुप कराने कि लिए उनपर खुलेआम गोलियां चलाई जा रही हैं, आंसू गैस के गोले और रबड़ की गोलियां दागी जा रही हैं. लोगों को बिना चेतावनी दिए उनपर पानी की बौछारें हो रही हैं.
60 प्रदर्शनकारियों की मौत
अभी तक कम से कम 60 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई है. हजारों प्रदर्शनकारियों सहित कई पत्रकारों को भी गिरफ्तार किया गया है. बेशक सैन्य सरकार लोगों को चुप कराने के लिए कितने भी हिंसक तरीके अपना रही हो, लेकिन लोगों की मांग है कि वह तब तक प्रदर्शन करते रहेंगे, जब तक देश में लोकतंत्र की बहाली नहीं हो जाती और गिरफ्तार किए गए नेताओं को रिहा नहीं कर दिया जाता. राज्य के रेलवेकर्मी (Myanmar Railway Workers) सबसे पहले संगठन के तौर पर तख्तापलट के विरोध में उतरे थे और 1 फरवरी के बाद ही इन्होंने हड़ताल शुरू कर दी थी.