धार्मिक सभा के दौरान महिलाओं का प्रतिनिधित्व पुरुष करेंगे : तालिबान
उप प्रधानमंत्री मावलवी अब्दुल सलाम हनफी ने एलान किया कि काबुल में धार्मिक विद्वानों की सभा महिलाओं की भागीदारी के बिना ही बुलाई जाएगी। ज
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उप प्रधानमंत्री मावलवी अब्दुल सलाम हनफी ने एलान किया कि काबुल में धार्मिक विद्वानों की सभा (जिरगा) महिलाओं की भागीदारी के बिना ही बुलाई जाएगी। जब उनसे पूछा गया कि क्या महिलाएं संसद का हिस्सा बन सकती हैं तो उन्होंने कहा, उनकी तरफ से पुरुष प्रतिनिधि बोलेंगे।
खामा प्रेस ने बताया कि 3,000 से ज्यादा धार्मिक विद्वान, आदिवासी बुजुर्ग, बुद्धिजीवी, प्रभावशाली हस्तियां और राष्ट्रीय व्यापारी काबुल के लोया जिरगा हॉल में महिला भागीदारी के बिना ही शामिल होंगे। हनफी ने कहा, महिलाएं हमारी मां हैं, बहनें हैं, हम उनका बहुत सम्मान करते हैं। जब उनके बेटे सभा में होते हैं तो यह दर्शाता है कि वे भी एक तरह से सभा में शामिल हैं। यह सभा बृहस्पतिवार देर शाम उलेमा के अनुरोध पर बुलाई गई। इसका आयोजन तालिबान ने किया ताकि वे इस्लामी शासन जैसे विषयों पर बात कर सकें।
तालिबान के फैसले की निंदा
महिलाओं की गैरमौजूदगी में सभा बुलाने के तालिबान के फैसले की अफगानिस्तान के नागरिक समाजों ने कड़ी निंदा की है। खामा प्रेस ने बताया कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सभा के एजेंडे में किन मुद्दों पर चर्चा होगी। लेकिन महिलाओं के बिना यदि उनके मुद्दे पर विचार होता है तो यह नाजायज होगा।
तालिबान के साथ संबंधों पर काम कर रहा है रूस : पुतिन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि हम तालिबान से संबंध बनाने की कोशिश कर रहे हैं और चाहते हैं कि अफगानिस्तान में सभी जातीय समूह देश को चलाने में शामिल हों। पुतिन ने ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान के साथ बैठक में यह बात कही। ताजिकिस्तान में एक रूसी सैन्य ठिकाना है, जिसकी अफगानिस्तान के साथ लंबी सीमा है। रूस को चिंता है कि इस्लामी कट्टरवाद कहीं देश में न फैल जाए।