टोबैको फ्री होने की दिशा में बढ़ा मलेशिया, सरकार लाने जा रही ये कड़ा कानून
मलेशिया पूरी तरह से तंबाकू से मुक्त होना चाहता है. जिसका सीधा असर उसकी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मलेशिया पूरी तरह से तंबाकू से मुक्त (Tobacco Free) होना चाहता है. जिसका सीधा असर उसकी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. वहीं एक्सपर्ट्स का मानना है कि भले ही इससे तात्कालिक घाटा और नुकसान दिख रहा हो लेकिन आने वाले समय में इस फैसले से बड़ा फायदा होगा. 'जेनरेशनल एंड गेम पॉलिसी' के तहत जल्द ही सरकार 2005 के बाद पैदा हुए लोगों के सिगरेट और वेप्स खरीदने पर रोक लगाने वाली है.
न्यूजीलैंड में भी आएगा ऐसा कानून
कुछ ऐसा ही फैसला लेने की तैयारी न्यूजीलैंड में है जहां टोबैको पर बैन के लिए जुलाई 2022 तक संसद में बिल पेश होने की उम्मीद है. वहीं वेल्स भी 2030 तक स्मोकिंग खत्म करने की तैयारी में है. पूरी तरह तंबाकू मुक्त होने से पहले माना जा रहा है कि इन देशों में 17 साल से कम उम्र के लोगों की स्मोकिंग पर पूरी तरह रोक लग जाएगी.
स्वस्थ राष्ट्र बनाने की मुहिम
Malaysian Green Lung Association के सर्वे के मुताबिक अधिकांश देशवासी इस फैसले से सहमत हैं. तो साउथ-ईस्ट एशिया टोबैको कंट्रोल अलायंस (SEATCA) के ऑनलाइन सर्वे में 97 फीसदी लोगों ने चरण बद्ध तरीके से टोबैको फ्री कंट्री होने की दिशा में आगे बढ़ने को समर्थन दिया है. हालांकि सर्वे में शामिल लोगों ने कानून का सही तरह से पालन होने और प्रतिबंधित सिगरटों की बिक्री को लेकर अपनी चिंता भी जताई है. बता दें कि लचर कानून होने की वजह से मलेशिया, तंबाकू की कालाबजारी को लेकर दुनिया में पहले पायदान पर है.
टोबैको कंपनियों की चिंता
इस बीच टोबैको कंपनियों ने फैसले पर चिंता जताते हुए देश के राजस्व पर बुरा असर पड़ने की बात कही है. 2017 में मलेशिया ने तंबाकू उत्पादों की बिक्री से 895 मिलियन यूएस डॉलर यानी अरबों रुपये कमाए थे. तंबाकू कंपनियों ने ये भी कहा कि इस फैसले की वजह से सिगरेट की ब्लैकमार्केटिंग में इजाफा होगा और लोग चोरी छिपे सिगरेट पीने लगेंगे.
स्वास्थ्य मंत्री का तर्क
प्रस्तावित नए कानून की घोषणा करते हुए स्वास्थ्य मंत्री खैरी जमालुद्दीन (Khairy Jamaluddin) ने कहा, 'देश में कैंसर के सबसे प्रमुख कारणों में तंबाकू सबसे ऊपर है. कैंसर से होने वाली मौतों में 22% तो टोबैको कंज्यूम करने की वजह से होती हैं. पिछले कुछ सालों में कैंसर के मामलों 11% की बढ़ोतरी हुई है. कैंसर के इलाज बहुत महंगा है सरकार हर साल कैंसर ट्रीटमेंट के लिए करोड़ों-अरबों रुपये खर्च करती है. इस फैसले से रेवेन्यू कम होगा लेकिन दूसरी तरफ स्मोकिंग (Smoking) से होने वाली बीमारियों के इलाज पर जो खर्च आता है उसमें कमी आने की उम्मीद बढ़ जाएगी. देश के पूर्व उप स्वास्थ्य मंत्री डॉ ली बून ची का कहना है कि सरकार और लोग हर साल धूम्रपान से संबंधित बीमारियों जैसे फेफड़ों के कैंसर और हार्ट की बीमारियों के इलाज के लिए 1.8 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च करते हैं. ऐसे में अगर टोबैको एंडगेम की दिशा में पूरी तरह कामयाब होने पर भविष्य में न सिर्फ लोगों की जान बचेगी वहीं सरकारी खजाने से हेल्थ सेक्टर पर होने वाले खर्च में भारी कटौती होगी.