ब्रिटेन में हटाई जा सकती है महात्मा गांधी की प्रतिमा, उठाए जा रहे ऐसे सवाल
अहिंसा का संदेश देने के साथ ही नागरिक अधिकारों के खिलाफ आवाज उठाने वाले महात्मा गांधी की ब्रिटेन में लगी मूर्ति को हटाया जा सकता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| अहिंसा का संदेश देने के साथ ही नागरिक अधिकारों के खिलाफ आवाज उठाने वाले महात्मा गांधी की ब्रिटेन में लगी मूर्ति को हटाया जा सकता है। दरअसल, ब्रिटेन में औपनिवेशिक और दास व्यापार के इतिहास की वेल्स सरकार द्वारा समीक्षा किए जाने के बाद वहां महात्मा गांधी की एक प्रतिमा के भविष्य को लेकर सवालिया निशान लग गया है। समीक्षा के बाद उन स्मारकों की सूची तैयार की गई है, जिन पर फिर से विचार किए जाने की आवश्यकता है।
'द स्लेव ट्रेड एंड द ब्रिटिश एम्पायर: एन ऑडिट ऑफ कमीशन ऑफ वेल्स' नामक रिपोर्ट इसी सप्ताह जारी हुई। इसमें युद्ध के समय के ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के अलावा रॉबर्ट क्लाइव की स्मृति को भी सूची में शामिल किया गया है। क्लाइव को भारत में ब्रिटेन के उपनिवेश की स्थापना में भूमिका के लिए 'भारत के क्लाइव' के रूप में भी संदर्भित किया गया है।
2017 में हुआ था प्रतिमा का अनावरण
वेल्स में महात्मा गांधी की एक कांस्य प्रतिमा है। वर्ष 2017 में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के नेता की 148 वीं जयंती के अवसर पर इस प्रतिमा का अनावरण किया गया था। समीक्षा में उन्हें ऐसे लोगों की श्रेणी में शामिल किया गया है जिन पर 'विचार करने की आवश्यकता है।"
कई इतिहासकर उनके वर्ष 1896 के एक भाषण को लेकर सवाल कर रहे हैं। ऐसे लोगों का दावा है कि महात्मा गांधी का मानना था कि भारतीय लोग अश्वेत अफ्रीकियों से बेहतर हैं।
समीक्षा की रिपोर्ट में कहा गया कि इसके बाद भी भारत में महात्मा गांधी के नेतृत्व ने नेल्सन मंडेला सहित कई अफ्रीकी नेताओं को प्रेरित किया। 1993 में डेसमंड टूटू ने पीटरमैरिट्जबर्ग में गांधी की एक प्रतिमा का अनावरण किया था। सूची में महात्मा गांधी को शामिल किया जाना मुख्य रूप से लीसेस्टर और मैनचेस्टर में इसी तरह की मूर्तियों के खिलाफ कुछ ऑनलाइन अभियानों से जुड़ा हुआ है। हालांकि, ऐसे अभियानों के खिलाफ बड़े पैमाने पर जवाबी अभियान भी चलाए गए हैं।