उइगर मुसलमानों के मुद्दे पर घिरा चीन, ब्रिटेन की संसद पहुंचा पत्र
अमेरिका स्थित एक अधिकार समूह कैंपेन फॉर उइगर्स (Campaign For Uighur) ने स्थानीय समयानुसार शुक्रवार को ब्रिटेन की संसद (British Parliament) को एक पत्र लिखा
अमेरिका स्थित एक अधिकार समूह कैंपेन फॉर उइगर्स (Campaign For Uighur) ने स्थानीय समयानुसार शुक्रवार को ब्रिटेन की संसद (British Parliament) को एक पत्र लिखा, जिसमें उइगरों के खिलाफ चीन (China) के भयानक अत्याचारों पर ध्यान देने की मांग की गई. CFU ने कहा कि ब्रिटेन की संसद में भारतीय किसान आंदोलन (Indian Farmer Protest) पर चर्चा ने उन्हें प्रेरित किया. समूह ने कहा कि उनका मुद्दा ज्यादा गंभीर है.
सीएफयू की ओर से लिखे गए पत्र में मानवाधिकार कार्यकर्ता राहिमा महमुत ने लिखा कि प्लीज, दरवाजे खोलिए, हमें बात करने की इजाजत दीजिए. उन्होंने कहा कि अगर यूके इस नरसंहार के खिलाफ उचित कार्रवाई करने में विफल रहता है तो वो अपनी अंतरात्मा को जवाब देने में भी 'विफल' साबित होंगे.
हक में उठाई आवाज तो हुआ बहन का अपहरण
उन्होंने कहा कि मैं भारत में किसान आंदोलन पर हुई नैतिक बातचीत को देखकर काफी प्रभावित हुई. हमें उम्मीद है कि क्रूर चीनी कम्युनिस्ट शासन द्वारा उइगरों के खिलाफ किए गए अत्याचारों की निंदा करते इस प्रस्ताव पर भी चर्चा की जाएगी. उइगर पर चीनी अत्याचारों की जानकारी देते हुए उन्होंने लिखा कि मेरी खुद की बहन जो कि एक रिटायर्ड मेडिकल डॉक्टर है, चीनी शासन ने उसका अपहरण कर लिया क्योंकि मैं कैंपों में फंसे लाखों लोगों के हक में आवाज उठा रही थीं.
इसके अलावा महमुत ने लिखा कि अगर शासन इस तरह से विदेशी नागरिकों के परिवार के सदस्यों को टारगेट कर सकता है तो सोचिए कैंपों में फंसे उइगरों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जा रहा होगा? कुछ पीड़ित साहस करके भयावह मानसिक, शारीरिक और यौन शोषण की गवाही देने के लिए आगे आए हैं. लिहाजा अब और हम इससे मुंह नहीं फेर सकते.
उइगर मुसलमानों के मुद्दे पर घिरा चीन
उन्होंने कहा कि चूंकि उइगर नरसंहार का सामना कर रहे हैं इसलिए सीएफयू को समर्थन और गवाही के लिए ब्रिटेन की संसद की ओर से अदालत में एक दिन की अनुमति दी जानी चाहिए. उइगर मुसलमानों के साथ व्यवहार को लेकर चीन वैश्विक स्तर पर निशाने पर रहा है. उइगर मुसलमानों पर प्रतिबंध लगाने, बड़े पैमाने पर उन्हें डिटेंशन कैंप भेजने, उनकी धार्मिक गतिविधियों में दखल देने के लिए चीन की लगातार निंदा होती रही है.