आइए जानें एक्सपर्ट्स से बच्चों के लिए क्यों होती है वैक्सीनेशन ज़रूरी
दो वर्ष तक की आयु के शिशुओं के टीकाकरण कार्यक्रम में निम्न को शामिल किया जाना चाहिए-
हर मां-बाप अपने बच्चे के लिए वही करना चाहते हैं, जो सबसे अच्छा है। आप कार सीट्स, बेबी गेट और अन्य तरीकों के बारे में जानते हैं, जिनसे उन्हें सुरक्षित रखा जा सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपने बच्चों को सुरक्षित रखने का सबसे बेस्ट तरीका है कि उन्हें सभी ज़रूरी वैक्सीन्स लगवाई जाएं? तो आइए जानें एक्सपर्ट्स से कि बच्चों के लिए वैक्सीनेशन क्यों ज़रूरी होती हैं।
बच्चों में वैक्सीनेशन का महत्व
सेव द चिल्ड्रेन (बाल रक्षा भारत) के स्वास्थ्य प्रमुख, डॉ. विकास कौशल बताते हैं, " प्रतिरक्षा शरीर का एक ऐसा ज़रूरी हिस्सा है, जो साल दर साल न सिर्फ बच्चों बल्कि वयस्कों की भी जान बचाता है। बच्चों की बात करें तो टीके उनकी प्रतिरक्षा को मज़बूत बनाकर कई बीमारियों के जोखिम को कम करते हैं।"
"भारत में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम हर साल लगभग 27 मिलियन नवजात शिशुओं को प्राथमिक खुराकों के साथ टीकाकरण के लिए लक्षित करता है। इसी के साथ, 1-5 वर्ष की आयु के 100 मिलियन बच्चों में डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टिटनेस, पोलियो, क्षय रोग, खसरा, हेपेटाइटिस-बी, जापानी इंसेफेलाइटिस (आमतौर पर दिमागी बुखार के रूप में जाना जाता है), मेनिनजाइटिस, हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप-बी और निमोनिया के कारण होने वाले 10 वैक्सीन प्रिवेंटेबल डिजीज (वीपीडी) से सुरक्षा प्रदान करता है।"
"आजकल भारत में 12 वर्ष और उससे अधिक आयु के स्कूल जाने वाले बच्चों को कोविड-19 से लड़ने के लिए टीकाकरण चल रहा है। हम कह सकते हैं कि यह सबसे अच्छा स्वास्थ्य निवेश है, जो मानवता को बचाने और सुरक्षित करने के लिए किया है।"
शिशुओं के लिए कौन-कौन से टीके हैं ज़रूरी
गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के बाल चिकित्सा पल्मोनोलॉजी की एडिशनल डायरेक्टर, डॉ. नीतू तलवार का कहना है, " वैक्सीनेशन हमारे बच्चों का पोलियो, टिटनस, डिप्थीरिया, और अन्य कई घातक रोगों से बचाव करता है। वैक्सीन से इन रोगों से बचाव मुमकिन है क्योंकि ये आसानी से फैलती हैं। टीकाकरण का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ है कि एक बच्चे से दूसरे में फैलने वाले ये ख़तरनाक रोग पूरी तरह से समाप्त हो चुके हैं या काफी हद तक कम हो गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप बच्चे अब पहले से कहीं ज़्यादा सुरक्षित हैं।
वैक्सीन दरअसल, किसी रोग को पैदा करने वाले रोगाणुओं का ही मृत या बेहद कमज़ोर संस्करण होता है। जब बच्चे वैक्सीन के जरिए किसी रोग के संपर्क में आते हैं, तो उनके शरीर में रोगाणुओं से लड़ने वाली प्रणाली यानी उनका इम्यून सिस्टम रोगों से बचाव के लिए एंटीबॉडीज़ का निर्माण करता है, जो उस रोग के वास्तव में, संपर्क में आने पर सुरक्षा कवच का काम करता है।
वैक्सीनेशन के फायदे उसकी वजह से होने वाले साइड इफेक्ट्स की तुलना में कहीं अधिक होते हैं। दो वर्ष तक की आयु के शिशुओं के टीकाकरण कार्यक्रम में निम्न को शामिल किया जाना चाहिए-