UK Elections: करीब 2 साल पीछे चलते हैं. तारीख थी 23 अक्टूबर 2022. Flip the calendar तो इस दिन पूरा भारत दिवाली मनाता है. हर घर में रोशनी जगमगा रही थी. पटाखे फूटे. लेकिन ये ख़ुशी सिर्फ दिवाली की नहीं थी. इस साल दिवाली पर डबल इवेंट था। सात समंदर पार इस भूमि की गद्दी पर बैठने के लिए भारतीय मूल के एक व्यक्ति को चुना गया, जिसने लगभग 200 वर्षों तक भारत पर शासन किया। जी हां, वो शख्स थे ऋषि सुनक. जब कंजर्वेटिव पार्टी के प्रधानमंत्री चुने गए तो यह जीत न सिर्फ पूरे भारत के लिए, बल्कि दुनिया में रहने वाले सभी भारतीयों के लिए एक ऐतिहासिक संदेश लेकर आई। हालांकि, ऋषि सुनक अभी तक चुनाव प्रचार में पिछड़ते नजर आ रहे हैं. अगर आप ब्रिटिश अखबारों के पन्ने पलटेंगे तो पाएंगे कि ऋषि सुनक को ब्रिटेन में रहने वाले भारतीयों की सबसे ज्यादा नाराजगी का सामना करना पड़ता है। गौरतलब है कि यहां करीब 25,000 भारतीय मतदाता रहते हैं। ऋषि सुनक
क्यों गिरी ऋषि सुनक की लोकप्रियता?
ऋषि सुनक की लोकप्रियता गिरने के और भी कई कारण हैं। वह न तो अवैध आप्रवासन को रोक सके, न ही कोरोना महामारी के दौरान कमज़ोर हुई अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सके, न ही लेबर पार्टी की बहुप्रचारित आप्रवासन नीति को लागू कर सके, न ही ब्रेक्सिट समझौते का घरेलू व्यापार पर कोई प्रभाव पड़ सका। ब्रिटेन में बढ़ती महंगाई ने ऐशो-आराम की जिंदगी जीने वालों के लिए भी नई मुसीबत खड़ी कर दी है। बहुत से लोग जो लक्जरी कार चलाते हैं, सार्वजनिक बसों में यात्रा करते हैं, और जो लोग रेस्तरां में महंगा खाना खाते हैं, वे अपने खर्चों में कटौती करते हैं। जाहिर है, इन परिस्थितियों ने ऋषि सुनक की नेतृत्व शैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं और जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, विपक्षी दल उनके विरोध में और अधिक मुखर हो गए हैं। परिणामस्वरूप, उन्हें दो उप-चुनावों में हार मिली और 2025 में निर्धारित तिथि से पहले आम चुनाव कराना पड़ा।