जानिए हाइपरसोनिक मिसाइलों को क्यों कहा जाता है फ्यूचर का हथियार

हाइपरसोनिक मिसाइलों को क्यों कहा जाता है फ्यूचर का हथियार

Update: 2022-03-21 17:35 GMT
रूस (Russia) ने यूक्रेन (Ukraine) पर दो दिन के अंदर अपनी दो ताकतवर हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) दागी. पहली किंझाल (Kinzhal), जिसे डैगर (Dagger) यानी खंजर भी बुलाया जाता है. दूसरी कैलिबर क्रूज मिसाइल (Kalibr Cruise Missile). अब आप सोच रहे होंगे कि क्रूज मिसाइल को हाइपरसोनिक क्यों कहा जा रहा है. आप इस स्टोरी में आगे इस बात की वजह को जानेंगे. पहले ये जानते हैं कि हाइपरसोनिक मिसाइलों की मांग बढ़ी कहां से? 
Military.com में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका कुछ साल पहले हाइपरसोनिक हथियारों (Hypersonic Weapons) के विकास के मामले में रूस से पिछड़ रहा था. फिर उसने तेजी दिखाते हुए हथियार विकसित किए और अपने जंगी जहाजों पर तैनात कर दिया. अमेरिका अब भी इन हथियारों को विकसित कर रहा है. लेकिन रूस ने तो दिखा दिया कि उसके पास हाइपरसोनिक मिसाइल हैं. और उसने उनका उपयोग यूक्रेन पर कर भी दिया. हालांकि, अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन इसकी पुष्टि नहीं कर पा रहा है. 
अमेरिकी सेना अब ऐसे हाइपरसोनिक हथियारों के विकास में लगी है, जो लॉन्च तो होगा बैलिस्टिक मिसाइल की गति से लेकिर टारगेट को हिट करने से पहले वह आवाज की गति (Speed of Sound) से सात-आठ गुना ज्यादा गति हासिल करके हाइपरसोनिक हो जाए. इसके बाद सीधे दुश्मन के टारगेट को ध्वस्त कर दे. ऐसी तकनीक का परीक्षण अमेरिकी नौसेना के जमवॉल्ट क्लास डेस्ट्रॉयर्स में किया जा रहा है. टेनेसी से डेमोक्रेट अमेरिकी सांसद जिम कूपर कहते हैं कि अमेरिका इस तकनीक के मामले में फेल हो रहा है. उसके 10 हजार लोग 1980 से इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं. मुझे लगता है कि यूक्रेन पर रूस का हमला पेंटागन के हाइपरसोनिक हथियारों के बजट से भी जुड़ता है. 
हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) वो हथियार होते हैं, जो ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा गति में चले. यानी कम से कम मैक 5 (Mach 5). साधारण भाषा में इन मिसाइलों की गति 6100 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है. इनकी गति और दिशा में बदलाव करने की क्षमता इतनी ज्यादा सटीक और ताकतवर होती हैं, कि इन्हें ट्रैक करना और मार गिराना अंसभव होता है.
आमतौर पर क्रूज मिसाइल या बैलिस्टिक मिसाइलों की गति काफी ज्यादा तेज होती है. लेकिन इनकी तय दिशा और यात्रा मार्ग की वजह से इन्हें ट्रैक किया जा सकता है. इन्हें मारकर गिराया जा सकता है. अगर इनकी गति ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा यानी 6100 किलोमीटर प्रतिघंटा कर दी जाए. साथ ही स्वतः दिशा बदलने लायक यंत्र लगा दिए जाएं तो यह हाइपरसोनिक हथियारों में बदल जाते हैं. इन्हें ट्रैक करना और मार गिराना लगभग असंभव हो जाता है. 
हाइपरसोनिक हथियार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं. पहला- ग्लाइड व्हीकल्स यानी हवा में तैरने वाले. दूसरा- क्रूज मिसाइल. अभी दुनिया का फोकस ग्लाइड व्हीकल्स पर है. जिसके पीछे छोटी मिसाइल लगाई जाती है. फिर उसे मिसाइल लॉन्चर से छोड़ा जाता है. एक निश्चित दूरी तय करने के बाद मिसाइल अलग हो जाती है. उसके बाद ग्लाइड व्हीकल्स आसानी से उड़ते हुए टारगेट पर हमला करता है. इन हथियारों में आमतौर पर स्क्रैमजेट इंजन लगा होता है, जो हवा में मौजूद ऑक्सीजन का उपयोग करके तेजी से उड़ता है. इससे उसे एक तय गति और ऊंचाई मिलती है. 
Military.Com के अनुसार रूस का दावा है कि उसके पास ऐसी बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जिनके ऊपर हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स (Hypersonic Glide Vehicles) और हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें (Hypersonic Cruise Missiles) लगाई जा सकती हैं. यानी बैलिस्टिक मिसाइल की रेंज और ताकत मिलने के बाद हाइपरसोनिक मिसाइल का कॉम्बीनेशन बेहद खतरनाक हो जाता है.
हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) अमेरिका, रूस और चीन के पास हैं. कहा जाता है कि उत्तर कोरिया भी ऐसी मिसाइल विकसित करने में लगा है. जो धरती से अंतरिक्ष या धरती से धरती के दूसरे हिस्से में सटीकता से मार कर सकते हैं. वैसे भारत भी ऐसी मिसाइल को विकसित करने में जुटा हुआ है. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया और कुछ यूरोपीय देशों के बारे में भी बीच-बीच में चर्चा होती रहती है.
रूसी सरकार हाइपरसोनिक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (Russian Hypersonic Intercontinental Ballistic Missile) बना चुकी है. जिसका नाम है एवनगार्ड (Avangard) है. यह मिसाइल मैक 20 यानी Mach 20 की गति से चलेगी. मतलब ध्वनि की गति से 20 गुना ज्यादा रफ्तार. यानी 24,696 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से. रूस के पास एवनगार्ड हाइपरसोनिक हथियार है, जिसे ICBM मिसाइल में लगाकर छोड़ा जाता है.
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