जानें कौन हैं मलाला यूसुफजई के पति असर, दोनों कब और कैसे आए एक-दूसरे के करीब

नोबल शांति पुरस्‍कार विजेता मलाला यूसुफजई अब एक नए जीवन के अध्‍याय को शुरू कर रही हैं।

Update: 2021-11-10 05:08 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नोबल शांति पुरस्‍कार विजेता मलाला यूसुफजई अब एक नए जीवन के अध्‍याय को शुरू कर रही हैं। उन्‍होंने एक सादे समारोह में बर्मिंघम में असर मलिक के साथ शादी कर ली। मलाला के लिए ये पल बेहद खास है। यही वजह है कि उन्‍होंने ट्वीट कर लोगों से शुभकामनाएं देने की अपील की है। आपको बता दें कि असर मलिक पाकिस्‍तान क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के जनरल मैनेजर पद पर हैं। पिछले वर्ष मई से ही वो इस पद पर हैं। इससे पहले असर मलिक ने पाकिस्‍तान सुपर लीग के लिए भी अपनी सेवाएं दी हैं। वो एक प्‍लेयर मैनेजमेंट कंपनी का भी संचालन कर चुके हैं। वर्ष 2012 में मलिक ने लाहौर यूनिवर्सिटी से स्‍नातक की डिग्री ली है।

असर एलएमएस पाकिस्‍तान के को-फाउंडर भी हैं। इसके अलावा मुल्‍तान सुल्‍तान टीम के खिलाडि़यों के लिए डेवलेपमेंट प्रोग्राम भी चलाते हैं। मलिक का जन्‍म लाहौर में हुआ है। यहीं से उन्‍होंने अपनी पढ़ाई भी पूरी की है। इंस्‍टाग्राम पर उनके करीब पांच हजार फालोअर हैं। मलाला और असर की पहली मुलाकात 2019 के क्रिकेट मैच में हुई थी।
बता दें कि मलाला उस वक्‍त पूरी दुनिया की मीडिया में सुर्खियों में छाई थी जब वर्ष 2012 में तालिबान आतंकियों ने स्‍कूल से लौटते समय उन्‍हें गोली मार दी थी। उस वक्‍त मलाला महज 15 वर्ष की थी। इसके बाद मलाला को इलाज के लिए लंदन ले जाया गया था, जहांं पर डाक्‍टर उसकी जान बचाने में सफल हुए। मलाला दरअसल, पाकिस्‍तान की स्‍वात घाटी में लड़कियों की शिक्षा को लेकर जागरुकता फैलाने का काम करती थी। यही बात तालिबान का नागवार गुजरी थी। इलाज के बाद मलाला और उसके परिवार को ब्रिटेन ने अपनी नागरिकता दी थी। यहां से ही मलाला ने अपनी शिक्षा पूरी की।
मलाला को पाकिस्‍तान में शिक्षा के प्रति लड़कियों को जागरुक करने की मुहिम के लिए यूरोपीय यूनियन से वर्ष 2013 में प्रतिष्ठित शैखरोव मानवाधिकार पुरस्कार से नवाजा गया था। वर्ष 2014 में मलाला को भारत के कैलाश सत्यार्थी के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वो इस पुरस्‍कार को पाने वाली सबसे कम उम्र की विजेता हैं।
मलाला काफी छोटी उम्र से ही पाकिस्‍तान में तालिबान और स्‍वात घाटी के हालातों को लेकर बीबीसी के लिए गुल मकई के नाम से डायरी लिखने का काम करती थी। इसके जरिए वहां रहने वाली बच्चियों की स्थिति को सामने ला रही थी। महज 16 वर्ष की उम्र में मलाला ने यूएन में लड़कियों की शिक्षा पर भाषण दिया था। मलाला के जज्‍बे को देखते हुए ही संयुक्त राष्ट्र ने उसके जन्‍मदिन को (12 जुलाई) को 'मलाला डे' के रूप में घोषित किया था।


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